अष्ट धातु से बने इस घंटे की खासियत है कि इसकी गूंज करीब 15 किलोमीटर दूर तक सुनाई देगी। ऐसे में राम मंदिर के इस घंटे की गूंज से अयोध्या नगरी में और रौनक बिखर जाएगी। इसे करीब 11 लाख रुपए की लागत से तैयार किया गया है। जलेसर नगर पालिका अध्यक्ष घंटे को श्रीराम मंदिर प्रबंधन को दान करेंगे। दाऊदयाल की टीम ने इस घंटे का निर्माण किया है। वे करीब 30 वर्षों से तरह-तरह की घंटियां बना रहे हैं। मगर पहली बार इतने बड़े आकार के घंटे का निर्माण करके वे काफी उत्साहित हैं।
कलाकारों के अनुसार राम मंदिर के लिए घंटे का निर्माण करना उनके लिए गौरव की बात है। घंटे की डिजाइनिंग, पीस और पॉलिशिंग की जिम्मेदारी मुस्लिम कलाकारों ने निभाई। क्योंकि उन्हें इन कामों में महारत हासिल थी। एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक घंटा तैयार करने वाले एक मिस्त्री इकबाल के अनुसार इसे बनाने में काफी सतर्कता की जरूरत थी। पिघले हुए धातु को डालने में पांच सेकंड की देरी होने पर पूरी मेहनत बेकार जा सकती थी, लेकिन सबके परिश्रम और लगन के चलते ये काम सफल रहा। घंटे में जोड़ नहीं है इसीलिए उन्हें इसे बनाने में काफी मुश्किलें आईं।
घंटे में सोना, चांदी, तांबा, जस्ता, सीसा, टिन, लोहा और पारे का इस्तेमाल किया गया है। जलेसर नगर पालिका अध्यक्ष ने दावा किया कि ये देश का सबसे बड़ा घंटा है। साथ ही उन्होंने इससे पहले 51 किलो का घंटा सीएम योगी को एटा में उनके पहले दौरे के वक्त भेंट किया था। उन्होंने यह भी बताया कि राम मंदिर के इस घंटे को 25 कारीगरों की टीम ने तैयार किया है। इसकी गूंज 15 किलोमीटर दूर तक सुनाई देगी।