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इस कीड़े के नीले खून से मिलती है नई जिंदगी, जिसकी कीमत जानकर आप हो जाएंगे दंग

locationनई दिल्लीPublished: Mar 13, 2020 04:06:58 pm

Submitted by:

Pratibha Tripathi

यह केकड़े अटलांटिक, हिंद और प्रशांत महासागर में पाए जाते हैं।
नीले खून की वजह से संकट में है इस जीव का अस्तित्व

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नई दिल्ली। क्या किसी जीव का खून नीला हो सकता है ? क्या आप ये सोच सकते हैं। जी हां आप भरोसा करें या ना करें लेकिन ये सौ फीसदी सच है, इतना ही नहीं इस जीव का खून जो नीले रंग का है वह हम इंसानो के लिए जीवन रक्षक है, वैसे तो इसे केकड़े की प्रजाति का माना जाता है लेकिन इसका खून लाल की बजाय नीला होता है और यह मकड़ी और विशाल आकार के जूं के बीच की प्रजाति का माना गया है।

इसे हॉर्स-शू क्रैब यानी केकड़ा कहते हैं, जानकार यह भी मानते हैं कि यह केकड़ा लीविग फॉसिल जैसा है यानी एक फॉसिल को बनने में जितना वक्त लगता है यह प्रजाति उससे भी पुरानी है और अभी भी जीवित है, इसे दुनिया के प्राचीनतम जीवों में गिना जाता है। जानकारी के अनुसार हॉर्स-शू क्रैब पृथ्वी पर डायनासोर से पहले आए थे, हमारे ग्रह पर ये कम से कम 45 करोड़ साल से निवास कर रहे हैं।

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इनकी 4 प्रजातियां पाई जाती हैं उनमें से एक है अटलांटिक हॉर्स-शू क्रैब या केंकड़े, ये केकड़े अटलांटिक, हिंद और प्रशांत महासागर में पाए जाते हैं, कहने के लिए तो ये छोटा सा जीव केकड़ा है लेकिन अब तक इनकी वजह से करोड़ों लोगों की जिंदगी बचाई जा चुकी है।

जीवन रक्षक है नीला खून
साइंटिस्ट इस केकड़े के नीले खून का इलाज में उपयोग होने वाले स्ट्रूमेंट और मेडिसिन को जीवाणु रहित बनाने व जांच के लिए उपयोग करते हैं। हमारे वातावरण में मौजूद जीवांणु दवाओं और मेडिकल स्ट्रूमेंट्स में जा कर मरीज़ के लिए जानलेवा बन सकते हैं, ऐसे में हॉर्स-शू क्रैब का नीला खून जैविक जहर को पूरी तरह नष्ट करने के काम आता है। यही कारण है कि इस केकड़े को पकड़ कर लगभग 25 से तीस प्रतिशत इसका खून निकाल कर संरक्षित किया जाता है।

दुनिया का सबसे महंगा नीला खून
हॉर्स-शू केकड़े का नीला खून इतना उपयोगी है कि दवा बाज़ार में बिकने वाला दुनिया का सबसे महंगा तल पदार्थ बन गया है। आपको ये सुन कर हैरानी होगी इसके एक लीटर खून की कीमत लगभग 11 लाख रुपये है, जानकारों का मानना है कि हर वर्ष करीब पांच करोड़ अटलांटिक हॉर्स-शू क्रैब मेडिस्नल यूज़ के लिए पकड़े जाते हैं। इस जीव के संरक्षण के लिए कार्य करने वालों का मानना है कि हॉर्स-शू केकड़े का खून निकाले के दौरान करीब तीस प्रतिशत से ज़्यादा केंकड़े मर जाते हैं। इनका खून निकालने की प्रक्रिया भी काफी तकलीफदेह होती है।
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