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आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग में बनाएं कॅरियर

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस बुद्धिमता न होकर डेटा का मैनेजमेंट और मेन्यूपुलेशन (गणित) है। इंजीनियरिंग की कई ब्रांचेज आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का निर्माण किया जाता है।

Dec 08, 2020 / 05:32 pm

सुनील शर्मा

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अक्सर आपने देखा होगा कि जब गूगल में सर्च करने के लिए कुछ लिखने लगते हैं तो गूगल उसकी पूरी स्पेलिंग या वाक्य सजेशन में दिखाने लगता है। जब कोई कैब बुक करते हैं और स्मार्टफोन का ऐप गंतव्य स्थान तक पहुंचने का कम से कम ट्रैफिक वाला रास्ता बताने लगता है। कुछ ऐसा ही गूगल असिस्टेंट, एप्पल सिरी या अमेजन की एलेक्सा डिवाइसेज भी करती हैं, लेकिन ये एक स्टेप आगे जाकर मदद करते हैं। ये सभी डिवाइसेज आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का ही चमत्कार है। आइए जानते हैं इस कॅरियर से जुड़ी जरूरी बातों के बारे में –
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यह होता है काम
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस बुद्धिमता न होकर डेटा का मैनेजमेंट और मेन्यूपुलेशन (गणित) है। इंजीनियरिंग की कई ब्रांचेज आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का निर्माण किया जाता है। सरल भाषा में आप एक मशीन (कम्प्यूटर, रोबोट या कोई चिप) बनाते हैं। उसमें डेटा फीड कर सॉफ्टवेयर तैयार करते हैं जो डेटा के आधार पर परिस्थितियों का सटीक आंकलन कर सकें। आंकलन के आधार पर इसका अंदाजा लगाकर बिल्कुल सही एक्शन लें। इस प्रोसेस को ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस या एआइ कहते हैं।
टेक्नो-फ्यूल होगी साबित
आज के समय में टेक्नॉलोजी बहुत तेजी से बदल रही है और इंसानों की जगह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस लेती जा रही है। देखा जाए तो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) आने वाले समय की टेक्नो-फ्यूल साबित होगी जो विज्ञान को हमारे सोचने की सीमाओं से परे ले जाएगी। किसी चिप पर इलेक्ट्रॉनिक ब्लड के रूप में दौड़ती आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ही निर्धारित करेगी कि मानव का भविष्य क्या होगा।
बन सकते हैं विशेषज्ञ
आपके पास किसी विशेष विषय पर पर्याप्त डेटा है और आप एक सॉफ्टवेयर के जरिए उसे मैनेज करना सीख लें तो आप भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के मास्टर बन सकते हैं। एआइ में सारा कुछ दारोमदार डेटा पर ही होता है, यदि डेटा गलत है तो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस भी सही दिशा में काम नहीं कर पाएगी। बेसिकली आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस दो तरह की होती है। रिसर्च एआइ और अप्लाईड एआइ।
दोनों में है फर्क
रिसर्च आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग आमतौर पर किसी नए नियम की खोज, नया डिजाइन बनाने या किसी डिवाइस को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। अप्लाईड एआइ जब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग आम जीवन में उपयोग के लिए करते हैं तो उसे अप्लाईड एआइ कहा जाता है। जैसे सिरी, एलेक्सा आदि डिवाइसेज अप्लाईड एआइ के उदाहरण है।
ऐसे करें शुरूआत
इसे सीखने या इसमें कॅरियर बनाने में दो चीजें सबसे ज्यादा जरूरी हैं कम्प्यूटर सांइस तथा मैथेमेटिक्स। इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए जरूरी है कि आपके पास इंजीनियरिंग की डिग्री हो। यह डिग्री कम्प्यूटर साइंस, सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी, गणित, इलेक्ट्रोनिक्स, इलेक्ट्रीकल्स जैसे सब्जेक्ट्स में होनी चाहिए। कुछ जगहों पर कोर्सेज में एडमिशन के लिए एंट्रेस एग्जाम भी क्वालिफाई करना होता है।
ये हैं कोर्सेज
कम्प्यूटर साइंस से जुड़े सभी इंस्टीट्यूट्स में इस विषय पर स्पेशल कोर्सेज चलाए जा रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग में इस समय अमरीका टॉप पर है। भारत में भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर काफी काम हो रहा है। यहां भी इस तरह के कई इंस्टीट्यूट्स हैं जहां एआई पर कोर्स कर सकते हैं। भारत में मुख्यतया दो तरह के कोर्स करवाए जा रहे हैं एम.टेक. तथा पीजी डिप्लोमा।

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