इस समय इंटरनेट पर ढेर सारे स्मार्टफोन कैमरा ऐप्स मौजूद हैं। आप इनमें से किसी एक कैमरा ऐप को काम में ले सकते हैं। आईओएस ऐप स्टोर या गूगल प्ले में जाकर अच्छे कैमरा ऐप्स तलाश सकते हैं। ऐसा ऐप काम में लें, जिससे बेहतर परिणाम मिलें और आपको आराम महसूस हो। आपको कस्टमाइजेबल और साधारण दोनों तरह के विकल्प मिल सकते हैं।
आपको एक्सपोजर ट्राइएंगल के बारे में पूरी तरह से जानने की जरूरत नहीं है। लेकिन आपको पता होना चाहिए कि सेटिंग्स में क्या-क्या मौजूद है। आपको पता होना चाहिए अपरेचर, आईएसओ और शटर स्पीड से आपके फोटोज की क्वॉलिटी पर असर पड़ता है।
अगर किसी के पीछे सूरज है तो उसकी फोटो सही नहीं आएगी। जो बात लाइट की पोजीशन पर लागू होती है, वही चमकदार कपड़ों और फर्निशिंग पर भी लागू होती है। अच्छी फोटो में लाइटिंग का महत्वपूर्ण रोल होता है।
जैसे गलत ऐप काम में लेना नुकसान पहुंचाता है, वैसे ही ऐप को सही तरह से न समझ पाना भी खतरनाक है। समझें कि ऐप क्या-क्या कर सकता है। इससे आप आगे की प्लानिंग सही तरह से कर सकेंगे।
स्मार्टफोन कैमरों में शानदार लो-लाइट सेंसर्स होते हैं। ज्यादातर मामलों में आपको फ्लैश की जरूरत नहीं पड़ेगी और यदि आपको इसकी जरूरत पड़ती है तो समझ लें कि फोटोग्राफ लेने के लिए यह सही समय और सही जगह नहीं है। फ्लैश को ऑफ रखें।
डिफॉल्ट कैमरा ऐप में ग्रिड बटन होता है। इससे ‘रूल्स ऑफ थड्र्स’ का पालन कर सकते हैं। इमेजनरी या ओवरलैड 3 बाई 3 ग्रिड से शानदार फोटोज ले सकते हैं। दायीं या बायीं वर्टिकल ग्रिड लाइन से सब्जेक्ट की अलाइनिंग कर सकते हैं। अगर सब्जेक्ट जीवित है तो आंखें होरिजेंटल अलाइंड होनी चाहिए।
स्मार्टफोन ट्राईपॉड के परिणाम शानदार रहते हैं। ये हर आकार, डिजाइन और इकोनॉमिक रेंज में उपलब्ध हैं। इससे आप स्थिर इमेज आसानी से ले पाते हैं। जूम से बचें
डिजिटल जूम से खराब फोटो मिलते हैं। अच्छा तरीका यह है कि आप सब्जेक्ट के पास जाएं और सही कम्पोजीशन के साथ फोटो लें। अगर जरूरी है तो बाद में इसे जूम कर सकते हैं।