scriptमैं रास्ता भटक गया तो लोगों ने घर नहीं पहुंचाया मेरी जान ही ले ली | i forget my path no, no body try to help me, they killed me | Patrika News
हॉट ऑन वेब

मैं रास्ता भटक गया तो लोगों ने घर नहीं पहुंचाया मेरी जान ही ले ली

मैं काले और सुनहरे रंग का सुंदर बघेरा हूं। मुझे ऑर्डिनरी पैंथर भी कहते हैं लेकिन मैं अब इस दुनिया में नहीं हूं। अब मैं आपको अपनी दर्दनाक कहानी सुना रहा हूं ताकि मेरे साथियों के साथ ऐसा न हो। पावटा के पास स्थित पहाड़ी इलाके और जंगलों में मेरा आशियाना था, लेकिन यहां बाघ अपना दखल बढ़ा रहे हैं इसलिए अपनी जान बचाने के लिए शनिवार सुबह करीब चार बजे नया आशियाना तलाशने निकला था। गलती से भोनावास के ढाणी बागौरी माता मंदिर के पास पहुंच गया। लोगों ने मुझे देखा और वो मेरी जान के दुश्मन बन गए।

Nov 18, 2018 / 06:29 pm

manish singh

panther, attack, india, jaipur, forest, animal,

मैं रास्ता भटक गया तो लोगों ने घर नहीं पहुंचाया मेरी जान ही ले ली

पावटा (जयपुर). मैं काले और सुनहरे रंग का सुंदर बघेरा हूं। मुझे ऑर्डिनरी पैंथर भी कहते हैं लेकिन मैं अब इस दुनिया में नहीं हूं। अब मैं आपको अपनी दर्दनाक कहानी सुना रहा हूं ताकि मेरे साथियों के साथ ऐसा न हो। पावटा के पास स्थित पहाड़ी इलाके और जंगलों में मेरा आशियाना था, लेकिन यहां चिते अपना दखल बढ़ा रहे हैं इसलिए अपनी जान बचाने के लिए शनिवार सुबह करीब चार बजे नया आशियाना तलाशने निकला था। गलती से भोनावास के ढाणी बागौरी माता मंदिर के पास पहुंच गया। लोगों ने मुझे देखा और वो मेरी जान के दुश्मन बन गए। लोग मुझे दौड़ाने लगे और मैं जान बचाने के लिए भागता रहा। जान बचाने की जद्दोजहद में मैने लोगों को डराने की कोशिश की।

जब हिम्मत जवाब देने लगी तो मैने भी बचाव में हमला कर दिया जिसमें सूरजाराम नाम के व्यक्ति घायल हो गए। मेरे इस हमले से लोगों का गुस्सा सुबह-सुबह सातवें आसमान पर पहुंच गया और वे मुझे खदेडऩे लगे। मैं जान बचाने के लिए एक मकान पर चढ़ गया। वहां मौजूद चार लोगों ने मुझपर फिर से हमला किया। मैं डरा-सहमा होने के साथ बेबस और लाचार था। जान बचाने के लिए फिर मुझे मजबूरी में फिर हमला करना पड़ा। लोग नहीं मानें जान बचाने के लिए वापस पहाड़ी की ओर भागा तो वहां 65 वर्षीय बुजुर्ग मेरे हमले में घायल हो गए।

मेरे हमले में घायल छह लोगों को स्थानीय अस्पताल जबकि दो को जयपुर रैफर कर दिया गया । जान बचाने के लिए पहाड़ी पर झाड़ी में छिपकर बैठा तो लोगों की भीड़ ने पत्थरों से अधांधुंध हमला कर दिया। तीन घंटे तक लगातार लोग घेरकर पत्थरों से हमला करते रहे। मेरा शरीर पूरी तरह छलनी हो गया था। कलेजा बैठ गया था और धडकऩें धीमी हो चुकी थीं। सांसे इस आस में चल रही थी कि कोई वन अधिकारी मेरी मौत से पहले मेरे पास आ जाएगा और मेरी जान बच जाएगी। पर ऐसा नहीं हुआ। वो जब अपने लाव लश्कर के साथ आए तब तक मेरी जान जा चुकी थी। मौत के बाद वन विभाग के अधिकारियों ने मेरा शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मेरी मौत भीड़ ने की थी इसलिए अज्ञात के खिलाफ मुकमा दर्ज करके खानापूर्ति कर दी गई है। पर एक बार मेरी मौत पर सोचिएगा जरूर। मैं आपके इलाके में आया था, या आप मेरे इलाके में घुस रहे हैं?

गांव के लोग ये सावधानी बरतें

जानवर गांव में घुस जाएं तो खुद को सुरक्षित करें
पटाखे या तेज आवाज वाले बम छोड़े क्षेत्र छोड़ देगा
कभी भी जानवर के पीछे दौड़े नहीं सबका नुकसान है

बेघेरे की कद काठी

लंबाई 8 से 12 फीट, ऊंचाई 2 से 3 फीट, वजन 160 से 200 किलो

आधे घंटे के भीतर मदद को पहुंचे पर थम चुकी थी सांस

गांव में बघेरे के घुसने की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम से सुबह 7.30 बजे मिली थी। टीम पूरी तैयारी के साथ करीब 8 बजे तक पहुंची तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। पीएम कराया गया है रिपोर्ट दो तीन दिन में आएगी। डेढ़ साल में दो बघेरों की मौत हुई है जिसमें एक की मौत आपसी संघर्ष के कारण हुई थी। क्षेत्र में अभी करीब छह बघेरे हैं और दो बच्चे भी हैं। इनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। जंगलों का दायरा कम होने और बड़े जानवरों की संख्या बढऩे से परेशानी बढ़ रही है।

वी.के शर्मा, क्षेत्रीय वन अधिकारी, कोटपुतली

Home / Hot On Web / मैं रास्ता भटक गया तो लोगों ने घर नहीं पहुंचाया मेरी जान ही ले ली

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो