इस बाढ़ ने इंसानियत के उन मसीहा से भी मुलाकात कराई, जो भगवान के रूप में तो नहीं लेकिन भगवान के भेजे दूत से कम नहीं थे। इस मुश्किल घड़ी में पूरा देश केरल के साथ खड़ा रहा, जिससे जितना हुआ..सभी ने अपनी हैसियत के अनुसार केरल को मदद पहुंचाई। इसके अलावा सेना, NDRF, RSS के साथ-साथ स्थानीय लोगों ने भी मुसीबत की इस घड़ी में इंसानियत का अद्भुत मिसाल पेश की। लेकिन इन सभी लोगों के बीच केरल में एक ऐसा इंसान भी था, जिसने अपनी पहचान छिपाए रखा और ज़रूरतमंदों की मदद करता रहा।
जी हां, ये शख्स कोई साधारण इंसान नहीं बल्कि एक IAS अधिकारी था। कन्नन गोपीनाथन नाम के इस अधिकारी में पद का कोई घमंड नहीं था, लिहाज़ा वे 8 दिनों तक राहत शिविरों में रह कर रात-दिन पीड़ितों की मदद करते रहे। कन्नन हैं तो एक IAS अधिकारी, लेकिन वे ऐसी घड़ी में एक मजदूर की तरह काम कर रहे थे। खुदा का ये नेक बंदा अपनी पीठ पर राहत सामग्रियों की बोरियां ढोता रहा, ताकि कोई भूखा न सोए।
एक आम मददगार की तरह काम कर रहे कन्नन ने किसी को इस बात की भनक भी नहीं लगने दी कि वे एक ऐसे पद पर कार्यरत हैं, जिस पद का पाने का ख्वाब देश का युवा वर्ग हर रात देखता है। कन्नन 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। केरल के कोट्टयम के रहने वाले कन्नन दादरा एवं नागर हवेली में कलेक्टर हैं। ऐसे ज़िंदादिल और नेक इरादों वाले अधिकारी को सलाम।