scriptइसलिए होती हैं ओस की बूंदें गोल, जवाब जानकर आप भी हैरान होंगे | Interesting questions from Science and technology in hindi | Patrika News

इसलिए होती हैं ओस की बूंदें गोल, जवाब जानकर आप भी हैरान होंगे

Published: Nov 22, 2020 05:58:37 pm

हमारे रोजमर्रा के जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटती हैं जो दिखने में अद्भुत होती हैं, परन्तु हम उनके पीछे का विज्ञान नहीं समझ पाते और उन्हें प्रकृति का चमत्कार मानते हैं।

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हमारे रोजमर्रा के जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटती हैं जो दिखने में अद्भुत होती हैं, परन्तु हम उनके पीछे का विज्ञान नहीं समझ पाते और उन्हें प्रकृति का चमत्कार मानते हैं। आइए जानते हैं प्रकृति के चमत्कारों के पीछे के छिपे वैज्ञानिक तथ्य-
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प्रश्न 1 – ओस की बूंदें गोल क्यों होती हैं?
उत्तर – पानी की बूंदों के गोल होने का कारण भी पृष्ठ तनाव है। यूं तो पानी जिस पात्र में रखा जाता है, उसका आकार ले लेता है, पर जब वह स्वतंत्र रूप से गिरता है तो धार जैसा लगता है, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण जैसे-जैसे उसकी मात्रा धरती की ओर जाती है उसी क्रम में आकार लेती है। इसके अलावा पानी के मॉलीक्यूल एक-दूसरे को अपनी ओर खींचते हैं और यह क्रिया केन्द्र की ओर होती है, इसलिए पानी टूटता नहीं। जैसे-जैसे पानी की बूंद का आकार छोटा होता है, वह गोल होती जाती है। आपने कुछ बड़ी बूंद को हल्का नीचे लटका हुआ भी पाया होगा।
प्रश्न 2 – कीड़े-मकौड़े पानी पर बिना डूबे कैसे चलते हैं?
उत्तर – कीड़ों का वजन इतना कम होता है कि वे पानी के पृष्ठ तनाव या सरफेस टेंशन को तोड़ नहीं पाते। पानी और दूसरे द्रवों का एक गुण है जिसे सरफेस टेंशन कहते हैं। इसी गुण के कारण किसी द्रव की सतह किसी दूसरी सतह की ओर आकर्षित होती है। पानी का पृष्ठ तनाव दूसरे द्रवों के मुकाबले बहुत ज्यादा होता है। इस वजह से बहुत से कीड़े मकोड़े आसानी से इसके ऊपर टिक सकते हैं। इन कीड़ों का वजन पानी के पृष्ठ तनाव को भेद नहीं पाता। सरफेस टेंशन एक काम और करता है। पेन की रिफिल या कोई महीन नली लीजिए और उसे पानी में डुबोएं। आप देखेंगे कि पानी नली में काफी ऊपर तक चढ़ आता है। पेड़ पौधे जमीन से पानी इसी तरीके से हासिल करते हैं। उनकी जड़ों से बहुत पतली-पतली नलियां निकलकर तने से होती हुई पत्तियों तक पहुंच जाती हैं। सन 1995 में गणेश प्रतिमाओं के दूध पीने की खबर फैली थी। वस्तुत: पृष्ठ तनाव के कारण चम्मच का दूध पत्थर की प्रतिमा में ऊपर चढ़ जाता था।
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