बालिकाओं के साथ हो रहे इन अपराधों को देखते हुए सरकार ने उनको अधिकार देने और उनके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कई प्रयास किये हैं। भारत सरकार इन कुरीतियों को समाप्त करने के लिए इस दिशा में लगातार काम करती आ रही है, जिसके जरिए वो आज मजबूती के साथ खड़े होकर पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार हैं। चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है इसका इतिहास और महत्व
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस साल 2012 से मनाया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देष्य महिला सशक्तिकरण के साथ उन्हें ऐसे अधिकार प्रदान करना है जिसकी मदद से वे आने वाली चुनौतियों का सामना अच्छे से कर सकें, और अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें। साथ ही दुनिया भर में लड़कियों के प्रति होने वाली लैंगिक असामानताओं को खत्म करने के बारे में जागरुकता फैलाना भी है।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बालिका दिवस मनाने की पहल एक गैर-सरकारी संस्था ‘प्लान इंटरनेशनल’ ने की थी। इस संस्था ने “क्योंकि में एक लड़की हूँ” नाम से एक अभियान शुरू किया। इसके बाद इस अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाने के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया, तब जा कर कनाडा सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के 55वें आम सभा में इस प्रस्ताव को रखा। अंतत: संयुक्त राष्ट्र ने 19 दिसंबर, 2011 को इस प्रस्ताव को पारित करते हुए 11 अक्टूबर का दिन अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में चुना। इस तरह से 11 अक्टूबर, 2012 से पूरी दुनिया ने बालिका दिवस मनाने की शुरुआत की।