ऐसे होता था महिलाओं का वर्जिनिटी टेस्ट 21 वीं सदी में पहुंचकर भी दुनिया में ऐसे कई देश हैं और समुदाय हैं जहां लड़की की वर्जिनिटी को उनके पवित्रता से जोड़कर देखते हैं। भारत में भी सदियों से यह परंपरा चली आ रही है। महाराष्ट्र के पुणे में कंजरभाट समुदाय रहता है। इस समुदाय में शादी के बाद लड़कियों के कुंवारी होने की जांच होती थी। शादी की रात लड़के के परिवार की महिलाएं यह जांच करती थी। इसके बाद लड़के को उसके साथ कमरे में भेजा जाता था। उनके बिस्तर पर एक सफेद कपड़ा बिछाया जाता था। शादी के अगले दिन अगर इसपर खून के निशान मिलते हैं तो लड़की को पवित्र माना जाता था।
कुप्रथा के खिलाफ मुहिम, चोरी-छिपे आज भी जारी है ये कत्रत्य!
इस कुप्रथा के खिलाफ लंबे समय से आवाज उठाई जा रही थी। इसी समुदाय के तीन युवाओं ने ‘स्टॉप द V रिचुअल’ नाम से एक मुहिम चलाकर इस कुप्रथा का विरोध किया था। इस मुहिम का असर ये हुआ कि सदन में इसपर चर्चा हुई और कहा गया कि ऐसे मामले सामने आने पर पुलिस खुद संज्ञान लेकर कार्रवाई करेगी। वर्जिनिटी टेस्ट के बारे में यदि कोई सार्वजनिक रूप से चर्चा करता है, तो संबंधित के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, अब इस प्रथा में कमी आई है। हालांकि, अभी भी चोरी—छिपे इस कत्रत्य को अंजाम दिया जा रहा है।
दुनियाभर में ऐसे मालूम की जाती है वर्जिनिटी बता दें, भारत ही नहीं दुनियाभर के अलग-अलग देशों में ये घिनौना काम होता रहा है। रोम में कुछ साल पहले एक बहुत ही क्रूर प्रथा प्रचलित थी। इसके तहत लड़की को तीस साल की उम्र तक अपनी वर्जिनिटी को बचाए रखना पड़ता था। इससे पहले अगर वो अपनी वर्जिनिटी खो देती थी तो उसे जिंदा दफना दिया जाता था। यही नहीं तंजानिया में वर्जिनिटी को लेकर एक प्रथा प्रचलित थी। इसके अंतर्गत अगर शादीशुदा जोड़े की सुहागरात के बाद चादर पर खून के दाग नहीं मिलते तो सजा के तौर पर लड़की के घरवालों को शादी में मिले गिफ्ट्स वापस लौटाने पड़ते थे।