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तमिलनाडु में जोरदार ढंग से हुआ जल्लीकट्टू का आयोजन, सांडों को काबू करने में जुटे लोग

locationनई दिल्लीPublished: Jan 16, 2020 11:45:09 am

Submitted by:

Piyush Jayjan

जल्लीकट्टू को पोंगल के अवसर पर मनाया जाता है
इस खेल में कई बार लोगों की जान चली जाती है

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Jallikattu

नई दिल्ली। बुधवार को पोंगल ( Pongal ) के अवसर पर तमिलनाडु ( Tamilnadu ) के विभिन्न हिस्सों में जलीकट्टू ( Jallikattu ) का आयोजन बडे धूमधाम से किया गया। एक अनुमान के मुताबिक इस आयोजन में तकरीबन 641 सांडों और 607 लोगों ने हिस्‍सा लिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस खेल में भाग ले रहे 641 सांडों में से 397 को कोई भी काबू नहीं कर सका।

जल्लीकट्टू तमिलनाडु का एक परंपरागत खेल है जिस हर साल पोंगल त्योहार पर आयोजित किया जाता है। इस दौरान स्थानीय लोग सांडों पर काबू पाने की कोशिश करते है। जल्लीकट्टू मट्टू पोंगल का हिस्सा है, जिसे पोंगल के तीसरे दिन खेला जाता है। तमिल में मट्टू का मतलब बैल या सांड से है।

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पोंगल के तीसरे दिन मवेशियों की पूजा की जाती है। इसी विधि-विधान के तहत जल्लीकट्टू में सांडों का खेल आयोजित किया जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि जल्लीकट्टू को लगभग 2500 साल पहले से मनाया जा रहा है। इस खेल में सांडों के सींघों में नोट रखे जाते हैं।

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इसके बाद सांड को भड़का दिया जाता है। इस आयोजन में हिस्सा लेने वाले प्रतियोगी सांडों को काबू में करते हैं। कई बार सांडों को भड़काने के लिए उन्हें शराब पिलाने से लेकर उनकी आंखों में मिर्च भी झोंक दी जाती है, ताकि सांड को गुस्सा आ जाए और वो हिंसक हो सके।

इस बर्बर खेल में सांड कई बार इतने क्रूर हो जाते है कि लोगों की जान तक चली जाती है। लेकिन इसके बावजूद भी तमिलनाडु में जल्लीकट्टू का आयोजन शानदार तरीके से किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस खेल पर प्रतिबंध लगाया है, उसके बावजूद तमिलनाडु में लोग इसमें बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।

जल्लीकट्टू ( Jallikattu ) को देखने के लिए भारी तादाद में लोग यहां पहुंचते है। कई विदेशी पर्यटक भी इसमें शिरकत करते हैं। एक अधिकारी की माने तो इस खेल के प्रतियोगियों और सांडों को चिकित्सकीय निरीक्षण के बाद ही इसमें हिस्सा लेने की अनुमति दी जाती है।

 

 

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