हुआ था कुछ ऐसा
बात तब की है जब मुखर्जी जवाहरलाल नेहरू ( Jawaharlal Nehru ) की पहली सरकार में मंत्री थे। वहीं जब नेहरू-लियाकत पैक्ट हुआ तो उन्होंने और बंगाल के एक अन्य मंत्री ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की। आम चुनाव हुए और उसके तुरंत बाद ही दिल्ली के नगरपालिका चुनाव में नए बने जनसंघ और कांग्रेस ( Congress ) में काफी बड़ी और कड़ी टक्कर देखने को मिल रही थी। इन सबके बीच श्यामा प्रसाद ने संसद में कांग्रेस पर आरोप लगाया कि चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस वाइन और मनी का इस्तेमाल कर रही है।
इसलिए नेहरू को मांगनी पड़ी थी मांफी
श्यामा प्रसाद के इस आरोप का जवाहरलाल नेहरू ने विरोध किया। वहीं इस बीच नेहरू से एक बड़ी गलती हो गई। दरअसल, उन्हें लगा कि मुखर्जी ने वाइन और वुमन कहा है। जबकि श्यामा प्रसाद ने अपने बयान में वाइन और मनी कहा था। लेकिन नेहरू अपनी जिद पर अड़े थे और उन्होंने मुखर्जी के आधिकारिक बयान की जांच की बात कही थी। वहीं जब बयान की जांच हुई, तो सच्चाई सबके सामने थी और नेहरू को अपनी गलती का एहसास हो गया था। उन्होंने भारतीय संसद ( parliament ) में खडे़ होकर मुखर्जी से मांफी मांगी। इस पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था- मांफी मांगने की जरूरत नहीं है, मैं बस यह कहना चाहता हूं कि मैं गलत बयानबाजी नहीं करूंगा।