रिपोर्ट के मुताबिक, कैलाश गिरी नाम के शख्स से उनकी मां कीर्ति देवी ने लगभग 20 साल पहले एक इच्छा जताई। मां ने कहा कि उसे चार धाम यात्रा ( Char Dham yatra ) करनी है। बेटे ने मां की इच्छा पूरी करने के लिए अपनी नेत्रहीन मां को कांवर पर बैठा लिया और निकल पड़ा चार धाम की यात्रा पर। गिरी अपनी मां को कंधों पर लेकर 37 हजार किलोमीटर पैदल चला। मिली जानकारी के मुताबिक, जब इस यात्रा को शुरु किया गया था तब गिरी की उम्र 25 साल थी और अब वो लगभग 50 साल के हो चुके हैं। वहीं उनकी मां की उम्र 92 साल हो चुकी है।
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गिरी ने अब तक अपनी मां को चारधाम की यात्रा, तिरुपति बालाजी, केदारनाथ ( Kedarnath ), गंगासागर, हरिद्वार , अयोध्या, इलाहाबाद, ऋषिकेश, पुष्कर और चित्रकूट घुमा चुके हैं। सफर के दौरान लोग गिरी को जो दान देते थे उससे ही वो खाना पकाते और अपनी मां को भी खिलाते। हर दिन वो अपने कंधों पर मां को बैठाकर 5-6 किलोमीटर चलते थे। साल 2016 में अपनी यात्रा का समापन उन्होंने ब्रज भूमि में किया था। एक इंटरव्यू में गिरी ने कहा दुनिया में उनकी मां के सिवा उनका कोई नहीं। जब वो 10 साल के थे पिता उन्हें छोड़कर चल बसे थे। साथ ही उनके भाई-बहन भी इस दुनिया में नहीं हैं।