बता दें कि उम्रकैद का मतलब होता है कि दोषी व्यक्ति को जीवनभर जेल की सजा काटनी है। यानी इस बात को दूसरे शब्दों में कहें तो जब तक दोषी व्यक्ति की सांस नहीं निकल जाती, तब तक वह जेल की काल कोठरी में ही जीवन बिताएगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी साल 2012 में अपने एक निर्णय में इस बात को स्पष्ट भी किया है कि उम्रकैद का मतलब जीवनभर के लिए जेल होती है। लेकिन इस कानून में सबसे बड़ा पेच यह है कि सजा सुनाने का काम तो कोर्ट करती है लेकिन इसके पालन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है।
ऐसे में राज्य सरकार के पास यह अधिकार होता है कि वह दोषी को 14 साल की सजा पूरी होने के बाद कभी भी रिहा कर सकता है, या फिर चाहे तो न भी रिहा करे। इसके लिए वह किसी भी तरह से बाध्य नहीं होता है। बता दें कि कैदी के कारावास की अवधि कम करने के लिए सरकार को संविधान की सीआरपीसी की धारा-432 के तहत आदेश पारित करना होता है। इसके बाद ही उसे रिहा किया जा सकता है, लेकिन रिहा करते समय इस बात का ध्यान रखना होगा कि उसने कम से कम 14 साल की सजा जरूर जेल में काटी हो।