जयंती एक मराठी परिवार से ताल्लुख रखती हैं। उन्हें खाना बनाने का गुण उनके परिवार से विरासत में मिला है। वो महाराष्ट्रियन खाना बनाने में माहिर हैं। उनके रेस्त्रां में मिसल पाव, साबुदाना वड़ा, से लेकर श्रीखंड पूरी और पोरन पोली तक की सभी मराठी व्यंजन मिलते हैं।
जयंती को रेस्त्रां खोलने का आइडिया उन्हें काम के दौरान दोस्तों से मिला। दरअसल साल 2006 में वो अपने परिवार के साथ आस्ट्रेलिया शिफ्ट हो गई थीं। यहां वो एक आईटी कंपनी में काम करती थीं। चूंकि वो शुरू से खाने-पीने की शौकीन रहीं हैं, लेकिन विदेश में भारतीय खाना आसानी से नहीं मिलता था। ऐसे में वो अक्सर घर के खाने को मिस किया करती थीं। इस बारे में उन्होंने अपने कुछ दोस्तों से बात की।
जयंती ने एक सोशल साइट पर अकाउंट बनाकर उस पर घर पर बने मोदक डिलीवर करने का काम शुरू किया। इससे उन्हें काफी सराहना मिली। तीन साल बाद वो बेंगलुरू आ गईं। यहां उन्हें एक दूसरी आईटी कंपनी में नौकरी मिली। मगर जयंती ने नौकरी करने के बजाय कुकिंग को ही अपना करियर बनाने का फैसला लिया। उन्होंने कुछ साल महाराष्ट्र के अलग-अलग व्यंजनों पर रिसर्च की। साथ ही दोस्तों से उधार लेकर एक गैरेज में अपनी दुकान शुरू की। मगर दुकान का खर्च उठाने के लिए उन्होंने नौकरी की। अब वो जॉब के साथ अपना काम भी संभाल रही थी। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने पूर्णब्रम्ह नाम से एक कंपनी खोली। जयंती की कई देशों में प्रतिष्ठा है। इस समय वो करीब 11 रेस्त्रां की मालकिन हैं।