कौन बनता है प्रोटेम स्पीकर और क्या होता है इनका काम
अभी तक की सरकारों की बात करें तो सदन का जो वरिष्ठ सदस्य होता है उसे ही प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है। प्रोटेम स्पीकर संसद के पहले सत्र में स्थायी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुने जाने तक कामकाज को संभालते हैं और संसद का संचालन करने का काम करता है। प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति काफी कम समय के लिए की जाती है। लेकिन सदन में उनकी जरूरत कई महत्वपूर्ण स्थितियों में पड़ती है। अगर कभी संसद के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष की मृत्यु हो जाए या फिर वे इस्तीफ़ा दे दें और यह पद खाली हो जाए उस समय प्रोटेम स्पीकर के ऊपर ही नए व्यक्ति के पद ग्रहण करने तक ज़िम्मेदारी रहती है।
लोकसभा के लिए प्रोटेम स्पीकर पद की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। हांलाकि उनकी शक्तियों के बारे में संविधान में कोई जिक्र नही है। लेकिन प्रोटेम स्पीकर ही वह व्यक्ति होता है जो नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाता है। सभी सांसदों की शपथ के बाद उन्ही के बीच से अध्यक्ष का चयन कराता है।
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अगर किसी स्थिति में अध्यक्ष या उपाध्यक्ष पद के लिए पड़े वोटों में टाई हो जाए तो प्रोटेम स्पीकर संसद का सदस्य होने के नाते अपने मत का प्रयोग कर स्थिति को सुलझा सकता है।