भवानी नाथ को 11 साल की उम्र में पता चला कि वे किन्नर हैं। किन्नर होने की वजह से उनको बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लोग उनके बारे में तरह-तरह की बातें करते और उनका शोषण करते थे। उन्हें जल्दी ही इस बात का एहसास हो गया कि लोग उनके साथ और बच्चों जैसा व्यव्हार नहीं करते थे। उन्होंने अपनी आप बीती सुनाते हुए बताया कि 11 साल की उम्र में किसी खास ने उनके साथ यौन शोषण किया था। अपने साथ हुए इस हादसे से वे पूरी तरह से टूट चुकी थीं। छठवीं क्लास तक पढ़ने के बाद उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी। 13 साल की उम्र में उन्हें किन्नर समाज के पास जाना पड़ा। वहां उनकी मुलाकात उनकी गुरु नूरी से हुई। वहां रहकर धीरे-धीरे वे इस समाज में सहज महसूस करने लगीं। घर से निकलने को लेकर उनका कहना है कि ” उनके द्वारा लिए गए इस फैसले ने उनकी ज़िंदगी बदल दी। उनके पिता को यह बिलकुल मंज़ूर नहीं था। अब उनके पिता तो इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उन्होंने अपने माता का ध्यान बहुत अच्छे से रखा।
बता दें कि 1997 में दिल्ली कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने वाली भवानी नाथ ने 2007 में कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस का दामन छोड़ने के बाद अब वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना समर्थन देती हैं। भवानी नाथ का कहना है कि ” जिस समाज में लोग किन्नरों को अपने परिवार का हिस्सा नहीं मानते, उसी समाज के लोग उन्हें अपने उपभोग की वस्तु समझते हैं।”