5 जुलाई को लगने वाले इस ग्रहण की शुरूआत सुबह 8 बजकर 37 मिनट से होगी जो 11 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। ये पूर्णिमा के दिन पड़ेगा। ज्योतिषविदों के अनुसार ये चंद्र ग्रहण अमेरिका, अफ्रीका और यूरोप में दिखाई देगा। भारत में ये नहीं दिखेगा इसलिए यहां इसका असर भी नहीं होगा। इसलिए लोग सामान्य दिनों की तरह इस दौरान पूजा—अर्चना कर सकते हैं।
क्या होता है उपछाया चंद्र ग्रहण?
उपछाया चंद्र ग्रहण को वास्तविक ग्रहण नहीं माना जाता है। हर चंद्र ग्रहण के शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपछाया में अवश्य प्रवेश करता है, जिसे चंद्र मालिन्य या अंग्रेजी में Penumbra कहा जाता है। उसके बाद ही चंद्रमा धरती की वास्तविक छाया (Umbra) में प्रवेश करता है, तभी उसे चंद्रग्रहण कहते हैं। मगर उपछाया के दौरान ये धरती को ढक नहीं पाता है। इसकी महज परछाई पड़ती है। धार्मिक दृष्टि से भी इसका कोई खास महत्व नहीं है। इसका पृथ्वी या ग्रह नक्षत्रों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
उपछाया चंद्र ग्रहण को वास्तविक ग्रहण नहीं माना जाता है। हर चंद्र ग्रहण के शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपछाया में अवश्य प्रवेश करता है, जिसे चंद्र मालिन्य या अंग्रेजी में Penumbra कहा जाता है। उसके बाद ही चंद्रमा धरती की वास्तविक छाया (Umbra) में प्रवेश करता है, तभी उसे चंद्रग्रहण कहते हैं। मगर उपछाया के दौरान ये धरती को ढक नहीं पाता है। इसकी महज परछाई पड़ती है। धार्मिक दृष्टि से भी इसका कोई खास महत्व नहीं है। इसका पृथ्वी या ग्रह नक्षत्रों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।