एक एजेंसी की रिपेार्ट के मुताबिक पुणे स्थित आगरकर अनुसंधान संस्थान ने झील के पानी पर अध्ययन किया था। स्टडी में पता चला कि हालोआर्चिया या हालोफिलिक आर्चिया नामक जीवाणु के चलते लोनार झील का पानी अचानक लाल रंग का हो गया था। ये खारे पानी में पाए जाते हैं। ये लाल या गुलाबी रंग पैदा करते हैं। संस्थान के निदेशक डॉ. प्रशांत धाकेफाल्कर ने बताया कि शुरुआती दौर में लगा कि झील का पानी लाल रंग के दुनालीला शैवाल के कारण हुआ है, लेकिन बाद में पानी के नमूनों की जांच की गई तो हमें पता चला कि झील में बड़ी संख्या में खास जीवाणुओं की मौजूदगी के कारण पानी का रंग बदला है।
स्टडी के बाद संस्थान ने इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट वन विभाग को भेजी है। जिसे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ को सौंपा जाएगा। स्टडी में यह भी बताया गया कि बारिश की वजह से खारापन कम होने के कारण झील का पानी धीरे-धीरे अपने पुराने रंग में लौट आएगा। उस वक्त जैव भार कम हो जाएगा। मालूम हो कि लोनार झील एक लोकप्रिय पर्यटक केंद्र है। कहा जाता है कि करीब 50,000 साल पहले पृथ्वी पर एक धूमकेतु के टकराने से इस अंडाकार झील का निर्माण हुआ था।