समलैंगिकों को सुरक्षित संबंध बनाने के लिए किया जागरूक धारा 377 के खिलाफ जंग लड़ने में कई साल लग गए, और अब आखिरकार उनका संघर्ष रंग लाया। दरअसल मानवेंद्र स्वयं समलैंगिक हैं, जो समलैंगिकों के अधिकार और सम्मान के लिए लड़ते रहे। उन्होंने समलैंगिकों के सम्मान के लिए एक चैरिटी भी शुरू की थी। इस चैरिटी के लिए काम के दौरान वे कॉन्डम को पेड़ पर लटका दिया करते थे। मानवेंद्र ने एड्स की रोकथाम के लिए भी काफी काम किया। देश में जब समलैंगिकता को कानूनन अपराध बताया जा रहा था, ऐसे समय में मानवेंद्र ने समलैंगिक लोगों को सुरक्षित यौन संबंध के प्रति जागरुक किया और उन्हें अधिकारों के बारे में बताया।
समलैंगिकता की शुरूआत भारत से ही हुई! मानवेंद्र ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि लोग समलैंगिकता को पाश्चात्य की देन बताते हैं, जो सरासर गलत है। मानवेंद्र ने कहा कि भारत के प्राचीन मंदिरों में मौजूद मूर्तियां समलैंगिकता का सबूत हैं। इसके अलावा उन्होंने कामसूत्र के हवाले से कहा कि समलैंगिकता की शुरूआत भारत में ही हुई। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट द्वारा धारा 377 पर सुनाया गया ये फैसला मानवेंद्र के साथ-साथ तमाम समलैंगिकों के लिए उनके जीवन की सबसे बड़ी खुशी है। सालों से चले आ रही इस गलत भावना का आज अंत हो गया और समलैंगिकों को खुलकर प्यार करने का अधिकार भी मिल गया।