ब्वॉयफ्रेंड ने दिया धोखा तो गुस्से में लड़की ने मुक्के मारकर तोड़ दी प्लेन की खिड़की, करानी पड़ी इमरजेंसी लैंडिंग मालूम हो कि राजेश बिहार रेजिमेंट (Bihar Regiment) के जवान थे। गलवान घाटी में कुछ दिन पहले ही उनकी तैनाती हुई थी। राजेश ओरांग के चचरे भाई देवाशीष ओरांग ने बताया कि गलवान घाटी में नेटवर्क की दिक्कत की वजह से राजेश अपने परिवार से कम बात कर पाता था। आखिरी बार अप्रैल महीने में उनकी बात हुई थी। उस वक्त भी राजेश ने जंग का कोई जिक्र नहीं किया था।
राजेश ओरांग के पिता किसान हैं। जबकि चचेरे भाई देवाशीष खमरिया स्थित ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि राजेश ओरांग का अंतिम संस्कार पश्चिम बंगाल स्थित पैतृक गांव में होगा। बुधवार तक उनके पार्थिव शरीर को गांव में लाए जाने की उम्मीद है। उनकी मौत की खबर सुनकर हर कोई दुखी है, पूरे गांव में गमगीन महौल है।