इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत में खुले में शौच से मुक्ति का लक्ष्य हासिल किया गया है। अब इसी दिशा में एक कदम आगे बढ़ते हुए अगला चरण लॉन्च किया गया है। इसके तहत सरकार का फोकस गांवों में समावेशी स्वच्छता प्राप्त करने या ओडीएफ प्लस स्टेटस को बनाए रखने के लिए खुले में शौच की संवहनीयता और ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) करना है।
2018 में की गई थी शुरुआत
उन्होंने आगे कहा कि ओडीएफ प्लस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए गोबरधन योजना को 2018 की शुरुआत में लॉन्च किया गया था जिसका उद्देश्य गावों में मवेशियों के अपशिष्ट समेत अन्य जैव-अपशिष्ट का प्रबंधन करना और उन्हें बायोगैस तथा ऑर्गेनिक खाद में बदलना है। सरकार की इस योजना से किसानों और अन्य घरों को आर्थिक और संसाधनों के लाभ पहुंचाकर उनके जीवन में सुधार किया जा सकेगा।
उन्होंने आगे कहा कि ओडीएफ प्लस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए गोबरधन योजना को 2018 की शुरुआत में लॉन्च किया गया था जिसका उद्देश्य गावों में मवेशियों के अपशिष्ट समेत अन्य जैव-अपशिष्ट का प्रबंधन करना और उन्हें बायोगैस तथा ऑर्गेनिक खाद में बदलना है। सरकार की इस योजना से किसानों और अन्य घरों को आर्थिक और संसाधनों के लाभ पहुंचाकर उनके जीवन में सुधार किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि गोबरधन पोर्टल बॉयोगैस योजनाओं के सही तरीके से क्रियान्वयन के लिए इससे जुड़े सभी विभागों में आपसी सामंजस्य का कार्य करेगा। पोर्टल के बारे में बोलते हुए केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि ग्रामीण भारत बड़ी मात्रा में जैव-अपशिष्ट का उत्पादन करता है जिसका कुशलतापूर्वक उपयोग करके बेहतर जन स्वास्थ्य और पर्यावरण का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
ग्रामीण युवाओं को मिलेगा रोजगार, होगी एक्स्ट्रा कमाई
पोर्टल लॉन्चिंग के अवसर पर बोलते हुए तोमर ने कहा कि गोबरधन योजना की सहायता से न केवल ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटा जा सकेगा वरन ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और युवाओं को कमाई हो सकेगी। यह जैव-अपशिष्ट प्रोसेसिंग से जुड़ी उचित पहलों और योजनाओं के जरिए किया जा सकता है, विशेषकर मवेशियों के गोबर को बायोगैस और ऑर्गेनिक खाद में बदलकर रोजगार और घरेलू बचत के अवसरों का सृजन किया जा सकता है।
पोर्टल लॉन्चिंग के अवसर पर बोलते हुए तोमर ने कहा कि गोबरधन योजना की सहायता से न केवल ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटा जा सकेगा वरन ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और युवाओं को कमाई हो सकेगी। यह जैव-अपशिष्ट प्रोसेसिंग से जुड़ी उचित पहलों और योजनाओं के जरिए किया जा सकता है, विशेषकर मवेशियों के गोबर को बायोगैस और ऑर्गेनिक खाद में बदलकर रोजगार और घरेलू बचत के अवसरों का सृजन किया जा सकता है।