उनमें से कई ने परिवारों से दूर रहने का विकल्प चुना है या फिर अपने घरों में अपने रहने के हिस्से को सील कर लिया है ताकि अपने प्रियजनों को वायरस के खतरे से बचा सकें। वे यहां तक कि अपनों के गले भी नहीं लगते। यह समय उन माताओं के लिए बड़ा मुश्किल भरा है। एक हिंदी न्यूज एजेंसी ने कोरोना वारियरस एक महिला से बात की जो मां की भी भूमिका अदा कर रही हैं। वे बताती हैं कि उनके 10 साल से कम उम्र के दो बेटे हैं। उन्होंने कहा, “पेशे की असाधारण प्रकृति को देखते हुए मुझे अपने बच्चों के साथ बहुत अधिक समय बिताने के लिए नहीं मिलता है। लेकिन अब मुझे लगता है कि मैं उनके साथ पहले से कहीं और कम समय बिताती हूं।” उन्होंने कहा कि “सैनिटाइजेशन प्रोटोकॉल और हेल्थ एडवाइज़री के बाद मैंने खुद को बच्चों से दूर किया है जो कि एक मां को भावनात्मक रूप से परेशान करता है। लेकिन साथ ही इस समय राष्ट्र की सेवा करने की जरूरत है जो कि सबसे अधिक आवश्यक है।”
उन्होंने कहा कि “जब आम दिनों की तरह जिस दिन मैं घर वापस आऊंगी तो वे बस मेरे पास आएंगे गर्मजोशी के साथ मैं उन्हें गले लगा सकूंगी। मुझे इसका इंतजार रहेगा।” वे कहती हैं कि “हालांकि अभी जब मैं घर जाती हूं तो या तो मैं चुपके से घुसने की कोशिश करती हूं ताकि उन्हें पता न चले, या अगर उन्हें पता चल जाए और वे मेरी तरफ भागने लगें तो मुझे उनसे दूर भागना पड़ता है।”