राजेंद्र सिंह रेलवे विभाग में कर्मचारी हैं और उनकी पत्नी, चंचल कौर सरकारी स्टाफ नर्स हुआ करती थीं। मगर चंचल ने अपने बच्चे को एक मुखतलिफ किस्म का माहौल देने की चाह में अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर खेती करने का निर्णय लिया।
राजेन्द्र और चंचल को लगने लगा कि वो किसी बड़े शहर में रहकर भले ही कितना भी ज्यादा पैसा क्यों न कमा लें। लेकिन हमारा जीवन स्तर ही अच्छा नहीं है क्योंकि न पीने को स्वच्छ पानी नसीब हो रहा है और न साफ़ हवा। ऐसे में इतना पैसा कमाने का क्या फायदा?
चंचल ने साल 2016 में अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी। हालांकि जब उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया तो बहुत से नाते-रिश्तेदारों व उनके कुछ साथियों ने कहा कि वे बेवकूफी कर रही हैं। लेकिन चंचल अपना फैसला नहीं बदलना चाहती थी।
क्योंकि वह अपने बेटे को सिर्फ ऐशो आराम वाली लाइफ ही नहीं बल्कि उसको एक स्वस्थ और स्वच्छ जीवन देना चाहती थी। इसलिए साल 2017 में चंचल अपने बेटे के साथ इंदौर शिफ्ट हो गई और यहाँ पर उन्होंने अपनी ज़मीन से कुछ दूरी पर ही एक घर किराए पर लिया।
द बेटर इंडिया के मुताबिक चंचल ने जिस वक़्त नौकरी छोड़ी तब उनकी तनख्वाह 90 हजार रुपये महीना थी। ऐसे में नौकरी छोड़ने का फैसला बिलकुल भी आसान नहीं होगा लेकिन उन्हें अपने बेटे के भविष्य प्राथमिकता दी और बगैर ज्यादा सोचे समझे अपना अंतिम निर्णय लिया।
इस भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां मां-बाप अपने बच्चों पर पूरी तरह ध्यान नहीं दे पाते ऐसे में चंचल और उनके पति राजेन्द्र का किया गया फैसला हम सब लोगों के लिए मिसाल है। क्योंकि उन्होंने सब चीजों के इतर अपने बच्चे के लिए सही सटीक वक़्त पर सही फैसला किया।
चंचल और राजेन्द्र न सिर्फ अपने बच्चे को लेकर इतने सजग है बल्कि वो पर्यावरण के प्रति भी काफी जागरूक हैं। चंचल खाना बनाने के लिए भी जैविक सब्जियों का ही इस्तेमाल करती है और सबसे बड़ी बात ये कि पति के नौकरी में व्यस्त रहने की वजह से पूरा घर अकेले ही संभाल रही है जो कि वाकई काबिल-ए-तारीफ है।