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मिसाल: धर्म की दीवारें तोड़कर मुस्लिम भाइयों ने धोती-जनेऊ पहन किया पिता के ब्राह्मण दोस्त का दाह संस्कार

Published: Sep 16, 2019 01:10:28 pm

Submitted by:

Vivhav Shukla

गुजरात के अमरेली जिले में सामाजिक भाईचारे की एक शानदार मिसाल देखने को मिली
मुस्लिम परिवार ने अपने पिता के ब्राह्मण दोस्त का हिन्दू रीति-रिवाज़ से दाह संस्कार किया

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नई दिल्ली। हिन्दुस्तान की गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल को अमल में लाते हुए अमरेली जिले के एक मुस्लिम परिवार ने अपने पिता के ब्राह्मण दोस्त की मौत के बाद हिन्दू रीति-रिवाज़ से उनका दाह संस्कार किया। दरअसल, अहमदाबाद के अमरेली जिले के पास एक छोटा सा कस्बा है जिसका नाम है सावरकुंडला। इस कस्बे में लगभग 40 साल पहले भिखू कुरैशी और भानूशंकर पंड्या में दोस्ती हुई थी। तीन साल पहले भिखू कुरैशी अपने बिमारी के कारण दुनिया छोड़ कर चले गए। तब से भानूशंकर, कुरैशी के बेटों के साथ रहने लग गए।

इसी शनिवार को भानूशंकर भी दुनिया से रुखसत हो गए। भानूशंकर की दिली इच्छा थी कि उनकी मौत के बाद उनका दाह-संस्कार पूरे हिन्दू रीति-रिवाज़ के साथ किया जाए। अपने चाचा की अंतिम इच्छानुसार अबु, नसीर व जुबेर ने उनका अंतिम संस्कार पूरे हिंदू रीति रिवाज के साथ किया। इतना ही नहीं भाइयों ने धोती और जनेऊ पहनने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं दिखाई।
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जुबैर ने बताया, ‘जब चाचा अपने अंतिम सांस ले रहे थे तो हमने उन्हें गंगाजल दिया।गुजरने के बाद उनके अर्थी को कंधा देने के लिए हमने जनेऊ भी पहना क्यों की हमारे आस-पास के लोगों ने कहा था ये पहनना जरूरी है।अपनी आंखों में आसू लिए नसीर ने कहा, हमारे बच्चे भी उन्हें ‘दादा’ कहते थे और हमारी पत्नियां पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेती थी। चाचा ईद के दिन हमसब के लिए तोहफे लाना कभी नहीं भूलते थे।जब तक चाचा जिंदा थे, घर में उनके लिए अलग से शाकाहारी खाना बनाता था। नसीर ने बताया, चाचा की चिता को मेरे बेटे अरमान ने अग्नि दी क्यों वो यही चाहते थे ।हम 12वें दिन अरमान का सिर भी मुंडाएंगे, क्योंकि हिंदू धर्म यही कहता है।
वहीं जिले के ब्रह्म समाज के उपाध्यक्ष पराग त्रिवेदी ने कहा, ‘हिंदू रीति-रिवाजों से भानुशंकर का अंतिम संस्कार करने से अबु, नसीर और जुबेर ने सांप्रदायिक सौहार्द की एक मिसाल कायम की है, हमें ऐसा ही समाज बनाना चाहिए जहां मानवता हर धर्म से उपर हो’
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