13 साल पहले बना था परिवार का हिस्सा… रायबरेली के शक्तिनगर निवासी कवयित्री सबिस्ता को यह बंदर करीब 13 साल पहले मिला था। सबिस्ता मानती हैं कि चुनमुन के आने के बाद मानो उनकी जिंदगी ही बदल गई थी। चुनमुन उनके लिए भाग्यशाली साबित हुआ था। सबिस्ता मुस्लिम हैं, इसके बावजूद उन्होंने अपने घर में मंदिर बनवाया। उन्होंने 1998 में ब्रजेश श्रीवास्तव से प्रेम विवाह किया था। दोनों की कोई संतान नहीं है। सबिस्ता मानती हैं कि चुनमुन के आने के बाद उनकी जिंदगी ही बदल गई थी।
घर में लाया था खुशियां… एक मीडिया चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में सबिस्ता बताया कि, “जब हमने बृजेश से लव मैरिज की, तो समाज में जीना दूभर हो गया था। कामकाज ठप्प होने से हमारे ऊपर कर्ज भी लद गया। इसके बाद अपने मन की शांति के लिए हम हिंदू धर्मग्रंथों को पढ़ने लगे। साधु-संतों से मिलने लगे। इसी बीच एक जनवरी, 2005 को चुनमुन हमारे घर का हिस्सा बनकर आया।” सबिस्ता ने चुनमुन को एक मदारी से लिया था, चुनमुन तब 3 महीने का था। उन्होंने बताया कि चुनमुन हमारे लिए भाग्यशाली साबित हुआ। न सिर्फ हमारा सारा कर्ज उतर गया, बल्कि धन-दौलत सबकुछ मिला हमें।”
बच्चे की तरह था पाला… सबिस्ता बताती हैं कि उन्होंने उसे बंदर कभी नहीं माना, चुनमुन उनके बच्चे की तरह था। चुनमुन घर में सभी सुख सुविधाओं के साथ रहता था। घर के तीन कमरे उसके लिए विशेष रूप से बनाए गए थे। इतना ही नहीं चुनमुन के कमरे सभी तरह की सुख सुविधाएं थीं उसके कमरे में एयरकंडीशनर और हीटर भी लगा हुआ था। सबिस्ता का चुनमुन के प्रति प्यार आप इस बात से लगा सकते हैं कि 2010 में शहर के पास ही छजलापुर निवासी अशोक यादव के यहां पल रही बंदरिया से उसका विवाह भी कराया।