दरअसल, यह प्राचीन इमारत मध्ययुगीन किले नार्यन-कला के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में है। रिपोर्ट के मुताबिक, भू-वैज्ञानिकों को मिली यह इमारत लगभग 1700 साल पुरानी बताई जा रही है, जो पूरी तरह से भूमिगत और स्थानीय शेल चूना-पत्थर से मिलकर बनी है।
हालांकि, इस इमारत के साथ भू-वैज्ञानिक ज्यादा छेड़छाड़ नहीं कर रहे हैं क्योंकि खुदाई करने से यूनेस्को की धरोहर नार्यन-कला किले को नुकसान पहुंच सकता है। भू-वैज्ञानिक म्यूऑन रेडियोग्राफी की मदद से इस रहस्यमयी इमारत को स्कैन करके जानकारी जुटा रहे हैं। इस काम में स्कोबेल्त्सिन इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर ( university ) फिजिक्स लोमोनोसोव मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी और डागेस्टैन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता मिलकर जानकारी एकत्रिक कर रहे हैं।
बता दें कि यह इमारत दिखने में क्रॉस के आकार में है। यह 36 फीट ऊंची, 50 फीट लंबी और 44 फीट चौड़ी है। ऐसा बताया जा रहा है कि यह दुनिया की सबसे पुरानी चर्चों में से एक हो सकता है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि ये एक तरह का जलकुंड हो सकता है या फिर एक जोरास्ट्रियन फायर मंदिर। यह एक आयताकार इमारत है। इसकी बनावट से ऐसा लगता है कि यह एक पानी का टैंक हो सकता है। मगर इस बारे में वैज्ञानिक साफ नहीं कर पाए हैं कि आखिर यह है क्या।