ज्योतिषाचार्यों के अनुसार अश्व की सवारी करते हुए मां का आगमन देश तथा देश की जनता के लिए कठिन समय लाता है परन्तु बाद में वह कल्याणकारी ही सिद्ध होता है। देवी का वाहन अश्व होने की स्थिति में प्राकृतिक आपदाओं, सत्ता में उथल-पुथल तथा पड़ौसी देशों से युद्ध जैसी घटनाओं की आशंका बनी रहती है। इसी प्रकार नवरात्रि के अंतिम दिन मां का वाहन भैंसा होगा जो अशुभ घटनाओं तथा पीड़ा का कारक है।
नवरात्रि का पर्व शनिवार 17 अक्टूबर (प्रतिपदा) को आरंभ होगा। इसी दिन शुभ मुहूर्त में घट स्थापना की जाएगी। नवरात्रि का समापन 24 अक्टूबर (शनिवार) को ही होगा, पंचांग के अनुसार उस दिन अष्टमी तथा नवमी दोनों तिथी है। ऐसे में 25 अक्टूबर को दशमी आ जाने से दशहरा मनाया जाएगा।
शास्त्रों के अनुसार यदि प्रत्येक व्यक्ति अपनी जन्मराशि अथवा नाम राशि के अनुसार देवी की आराधना करें तो उसे विशेष फल मिलता है तथा उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ज्योतिषियों के अनुसार मेष राशि के लोगों को मंगला, वृषभ राशि वालों को कात्यायनी, मिथुन राशि वालों को दुर्गा, कर्क राशि वालों को शिवाधात्री, सिंह राशि वालों को भद्रकाली, कन्या राशि वालों को जयंती, तुला राशि वालों को क्षमा, वृश्चिक राशि वालों को अम्बा, धनु राशि वालों को दुर्गा, मकर राशि वालों को कालरात्रि, कुंभ राशि वालों को चामुण्डा तथा मीन राशि के जातकों को काली की आराधना करनी चाहिए। इससे उनके सभी संकट दूर होंगे तथा सभी मनवांछित इच्छाएं पूर्ण होंगी।