एक इंटरव्यू में अंकिता ने बताया कि, “ट्रैकिंग शिविर में चुना जाना ही अपने आप में बड़ा कठिन था। मैं धावक हूं उसके बाद भी मुझे ट्रायल काफी कठिन लगा।” अंकिता ने बताया कि, मेरी NCC यूनिट से पता चला कि ट्रैकिंग शिविर जाने वाला है। मेरी बहुत इच्छा थी कि मैं हिमालय देखूं। इससे अच्छा मौका मेरे लिए और कोई नहीं हो सकता था। हम 20 कैडेट्स और साथ में एक ट्रैकिंग एक्सपर्ट हमारे साथ ट्रैकिंग पर गए। हमने अपनी ट्रैकिंग यात्रा गुलाबा से शुरू की। हमारा बेस कैंप ऋषि कोला में था। हमारा लक्ष्य था भृगु लेक (झील) तक पहुंचना।” जानकार बताते हैं कि भृगु ऋषि इसी झील के पास तपस्या किया करते थे।
पर्वतारोहण आसान कार्य नहीं माना गया है। बर्फ से भरी वादियाँ तस्वीरों में जितनी अच्छी लगती है वास्तव में उतनी खतरना होती नहीं हैं। अंकिता ने बताया सफेद बर्फ से ढका मैदान बेहद खूबसूरत दिखता है, लेकिन चाह कर भी नज़र भर नहीं देख सकते हैं। ज़्यादा देर रुकने से साथ छूटने का डर बना रहता है। और साथी से बिछड़ जाने का मतलब होता है मुसीबत को दावत देना। NCC के कुल 21 कैडेट पर्वतारोहण के लिए चुने गए, जिनमें से 5 गर्ल्स थीं और दो लोग ही भृगु झील तक पहुंच पाए। हालांकि इनका इरादा और आगे जाने का था, लेकिन मौसम खराब होने की वजह से इन्हें आगे का प्लान स्थगित करना पड़ा।