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यहां पर गुमनामी बाबा के नाम से रहते थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस! प्लेन क्रैश में नहीं हुई थी मौत

Published: Jan 23, 2019 10:24:51 am

Submitted by:

Vineet Singh

आज़ाद हिन्द फ़ौज की नीव रखने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतवासियों के दिलों में बसते थे। आपको बता दें कि आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है और इस मौके पर हम आपको उनकी मौत से जुड़ी ऐसी बात बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आपको झटका लगेगा।

netaji subhash chandra bose

यहां पर गुमनामी बाबा के नाम से रहते थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस! प्लेन क्रैश में नहीं हुई थी मौत

नई दिल्ली: वो साल था 1945 जब भारतीय समाचार पत्रों में ये खबर आयी थी कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक प्लेन हादसे में मौत हो गयी है। इस खबर ने भारतवासियों को झकझोर कर रख दिया था क्योंकि उनके नेता और आज़ाद हिन्द फ़ौज की नीव रखने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतवासियों के दिलों में बसते थे। आपको बता दें कि आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है और इस मौके पर हम आपको उनकी मौत से जुड़ी ऐसी बात बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आपको झटका लगेगा।
उत्तर प्रदेश का फैजाबाद जिला ही वो जगह है जहां पर 16 सितंबर, 1985 को एक शख्स की मौत हुआ थी जिसे वहां के लोग ‘गुमनामी बाबा’ और ‘भगवन जी’ के नाम से जानते हैं। लोगों को भनक लगे बगैर ही इस शख्स का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया लेकिन उसके बाद कुछ ऐसा हुआ जिससे लोगों के बीच हड़कंप मच गया। दरअसल इस शख्स के बारे में खबर आयी कि ये गुमनामी बाबा और कोई नहीं बल्कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे जो यहां पर गुमनामी में अपना जीवन काट रहे थे।
गुमनामी बाबा सिविल लाइंस में स्थित ‘राम भवन’ में रहते थे। जब गुमनामी बाबा की मौत हुई तो उनके घर से जो सामान प्राप्त हुआ उसे देखकर लोगों को ये अंदाज़ा लग गया था कि ये शख्स कोई आम इंसान नहीं था। गुमनामी बाबा का सामान देखने वाले लोगों को ऐसा लगने लगा था कि राम भवन में रहने वाला शख्स और कोई नहीं बल्कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे।
सरकार के मुताबिक़ 1945 में विमान दुर्घटना में नेताजी मौत हो गई थी तो ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल था कि राम भवन में फिर कौन रहता था। जब गुमनामी बाबा की मौत हुई तब उनके पास से नेताजी के परिवार की तस्वीरें, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित नेताजी से संबद्ध आलेख, कई लोगों की चिट्ठियां आदि मिली थीं। इस बारे में जब नेताजी की भतीजी ललिता को जानकारी हुई तब वो कोलकाता से फैजाबाद आईं और गुमनामी बाबा के कमरे में पड़े सामान को देखकर रोने लगीं और बोलीं की ये सामान उनके चाचा का ही है।
जानकारी के मुताबिक़ गुमनामी बाबा इस इलाके लगभग 15 साल रहे। वो साल 1970 के दशक में फैजाबाद आए थे और सबसे पहले अयोध्या की लालकोठी में किराए पर रहते थे, इसके बाद वो कुछ समय प्रदेश के बस्ती शहर में रहे लेकिन फिर से अयोध्या लौट आए। इसके बाद वो पंडित रामकिशोर पंडा के घर रहने लगे फिर कुछ सालों बाद वो अयोध्या सब्जी मंडी के बीचोबीच स्थित लखनऊवा हाता में रहे और आखिर में उन्होंने राम भवन में शरण ली जहां पर वो 2 साल तक रहे।
ऐसा कहा जाता है कि गुमनामी बाबा हमेशा पर्दे के पीछे रहकर बात करते थे और लोगों से मिलते जुलते नहीं थे। कहा जाता है कि रात में गुपचुप तरीके से कुछ लोग कार से उनसे मिलने यहां आते थे और सुबह होने से पहले चले जाते थे। जानकारी के मुताबिक़ जब गुमनामी बाबा की मौत हुई तब उनके पार्थिव शरीर को गुफ्तार घाट ले जाकर कंपनी गार्डेन के पास अंतिम संस्कार कर दिया गया। यह ऐसी जगह है जहां पर दोबारा किसी का अंतिम संस्कार नहीं किया गया। ऐसे में लोगों को यही लगता है कि गुमनामी बाबा ही नेता जी सुभाष चंद्र बोस थे।
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