70 सालों से इस शहर में नहीं हुई किसी की 'मौत’, नहीं होता किसी का अंतिम संस्कार
- यहां पिछले 70 सालों से नहीं हुई किसी की मौत
- ठंड की वजह से यहां डेड बॉडी नष्ट नहीं होती

नई दिल्ली। ये बात तो हर कोई जानता है कि जन्म मृत्यु समय के अनुसार ही चलती है जो जन्म लेता है उसका खत्म होना भी समय चक्र का नियम है। लेकिन यदि ये कहे कि किसी की मौत पर बैन लगा दिया जाता है जिससे उसकी मौत नही होती तो यह काफी हैरत करने वाली बात है। क्योंकि प्रकृति के नियम को कोई भी टाल नही सकता है। लेकिन एक शहर ऐसा भी है जहां मरने वालों पर 'बैन' लगा दिया गया है। जिससे यहां पर पिछले 70 साल से किसी की मौत ही नहीं हुई है।
प्रकृति के खिलाफ मौत पर बैन
यह बात भले ही आपको हैरान करने वाली लगे,लेकिन इस शहर में किसी का मरना मना है। नॉर्वे (Norway) के इस छोटे से शहर लॉन्गइयरबेन (Longyearbyen) में प्रशासन की ओर से सख्त नियम बनाए गए है कि इस जगह पर कोई इंसान की मौत नही होगी। नॉर्वे और उत्तरी ध्रुव के बीच यह आइलैंड है जिस पर कड़ाके की ठंडी पड़ती है।
यहां पिछले 70 सालों से किसी की मौत नहीं हुई
इस आइलैंड पर कड़ाके की ऐसी ठंड पड़ती है कि यहां तापमान काफी गिर जाता है। जिसके चलते जिंदा रहना मुश्किल हो जाता है। साथ ही इस शहर के लोगों को मरने तक की अजादी ही है। इस वजह से यहां पिछले 70 सालों से किसी की मौत नहीं हुई है। इस शहर में ना मरने की पाबंदी इसलिए लगाई गई है क्योंकि यहां कड़ाके की ठंड होती है।
ठंड की वजह से डेड बॉडी नष्ट नहीं होती
दरअसल, यहां पर ठंड काफी पड़ती है जिसके चलते मरे हुए लोगों की डेड बॉडी (Dead Body) को गलने में कई साल लग जाते है। कड़ाके की ठंड की वजह से न तो वो गलती है और न ही सड़ती है।इस जगह पर मरे हुए लोगों के शव लंबे समय तक नष्ट नहीं होते। बताया जाता है साल 1917 में एक इंसान की मौत इनफ्लुएंजा(Influenza) की वजह से हुई उसके शव में इंनफ्लुएंजा के वायरस (Virus) जस के तस पड़े थे। इससे लोगों पर बीमारी का खतरा मंडराने लगा था। इसके घटना के बाद से यहां की सरकार ने शहर में मौत पर पाबंदी लगा दी थी. अब अगर यहां कोई व्यक्ति मरने वाला होता है तो उस व्यक्ति को हेलिकॉप्टर की मदद से देश के दूसरे क्षेत्र में ले जाया जाता है और मरने के बाद वहीं उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है।
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