बताया जाता है कि दिव्यांशी पिछले तीन साल से माचिस की डिब्ब्यिों को इकट्ठा कर रही है। उसे बचपन से ही माचिस के खाली डिब्बे जमा करने का शौक है। अपनी इस हॉबी को पूरा करने के लिए वह विदेश जाने वाले अपने रिश्तेदारों से वहां से माचिस के खाली डिब्बे लाने के लिए कहती है। दिव्यांशी को ये शौक अपने पिता की वजह से लगा। दरअसल उनके पिता एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर (Wildlife Photographer) हैं। वे जब भी विदेश जाते थे तो वहां से माचिस का डिब्बा लेकर आते थे। ऐसे में दिव्यांशी को शुरू से इसका कलेक्शन बनाने की आदत पड़ गई।
दिब्यांशी अपने पास जमा माचिस की डिब्बियों को अलग-अलग थीम के आधार पर ऑर्गेनाइज करके रखती हैं। इसके लिए वो एक बड़े प्लास्टिक की डिब्बी का इस्तेमाल करती हैं। वह खुद बहुत ज्यादा देशों में नहीं गई हैं इसके बावजूद उनके पास ज्यादातर हर देश की माचिस की डिब्बी मौजूद है। उसके इस शौक को पूरा करने में उसके माता-पिता समेत रिश्तेदार एवं अन्य परिवार के करीबी लोग मदद करते हैं। दिव्यांशी के पास नेपाल, पोलैंड, भूटान, जापान और बांग्लादेश समेत कई पॉपुलर देशों की माचिस की डिब्बी मौजूद है।