45 मिनट बाद दोबारा जिंदा हो गया शख्स, लोगों के साथ शेयर किया एक्सपीरियंस
जिस व्यक्ति ने इस धरती पर जन्म लिया है। उसे एक ना एक दिन निश्चित तौर पर इस दुनिया को छोडकर जाना ही होगा। मृत्यु एक शाश्वत सत्य है, जिसे कोई भी ठुकरा नहीं सकता। लेकिन आज आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे है जो मरने के बाद भी दोबारा जिंदा हो गया।

नई दिल्ली। जिस व्यक्ति ने इस धरती पर जन्म लिया है। उसे एक ना एक दिन निश्चित तौर पर इस दुनिया को छोडकर जाना ही होगा। मृत्यु एक शाश्वत सत्य है, जिसे कोई भी ठुकरा नहीं सकता। लेकिन आज आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे है जो मरने के बाद भी दोबारा जिंदा हो गया। मौत को मात देने वाले इस शख्स का नाम माइकल नैपिन्स्की है। माइकल मरने के बाद 45 मिनट बाद फिर जिंदा हो गया। डॉक्टर्स ने तक कहा कि ये किसी आश्चर्य से कम नहीं है कि उनका दिल 45 मिनट तक एक बार भी नहीं धड़का। परिजन जो उसकी मौत के बाद दुखी थे, वो भी आश्चर्यचकित रह गए।
डॉक्टर्स ने मृत घोषित कर दिया
दरअसल, 45 वर्षीय माइकल नपिन्स्की 7 नवंबर को माउंट रेनियर नेशनल पार्क में स्नोशिंग कर रहे थे। अचानक बर्फ ज्यादा होने की वजह से वह अपने साथी से अलग होकर बिछड़ गया। वह अपने ग्रुप में वापस नहीं आया तो माउंटेन पर रेस्क्यू टीम को भेजा गया। बर्फीली पहाड़ियों के बीच माइकल को खोजा गया पर वह कहीं नहीं मिला। एक दिन बीत जाने के बाद रेस्क्यू टीम ने उन्हें 8 नवंबर की मृत अवस्था में पाया। हेलीकॉप्टर की मदद से माइकल को लाया गया था। जब डॉक्टर ने उन्हें चेक किया, तो उनका दिल काम करना बंद कर चुका था। माइकल को डॉक्टर्स ने मृत घोषित कर दिया।
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लोगों के साथ शेयर किया एक्सपीरियंस
एक रिपोर्ट के अनुसार, 45 मिनट तक मृत रहने के बाद उसे एक एक्स्ट्राकोर्पोरियल झिल्ली ऑक्सीजनेशन (ईसीएमओ) मशीन तक पहुंचा दिया। डॉक्टर्स ने हार नहीं मानी और एक मरे हुए इंसान को जिंदा करने का करिश्मा कर दिखाया। डॉक्टर्स के साथ-साथ माइकल के परिजन भी आश्चर्यचकित थे कि कैसे उन्होंने एक मरे हुआ आदमी जिंदा हो गया। मौत को मात देकर आने के बाद उन्होंने अपना एक्सपीरियंस लोगों के साथ शेयर किया। उन्होंने कहा कि ये किसी भयानक सपने से कम नहीं था।
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महंगा और जोखिम भरा ट्रीटमेंट
आपको बता दें कि ईसीएमओ द्वारा ब्लड शरीर से हार्ट-फेफड़े की मशीन के बाहर पंप किया जाता है जो कार्बन डाइऑक्साइड को हटाता है। शरीर में ऑक्सीजन से भरे खून को वापस टिशू में भेजता है। इस प्रक्रिया का उपयोग फिलहाल कुछ COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए किया जा रहा है, लेकिन यह बहुत मुश्किल, महंगा और जोखिम भरा ट्रीटमेंट है। जिसमें मरीज के बचने की उम्मीद ना के बराबर होती है। ECMO मशीन का वैसे तो उपयोग आमतौर पर नवजात शिशुओं के लिए किया जाता है, लेकिन इसका उपयोग वयस्कों में भी किया जा रहा है।
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