बेखौफ वांटेड दाऊद की यह तस्वीर सबसे अधिक देखी और सर्च की गई तस्वीरों में सबसे ऊपर है। लेकिन कभी अपने सोचा इस फोटो के पीछे किसने हाथ है? आज कल की भाषा में कहें तो ये कैंडिड किसने अपने कैमरे में उतारी होगी? आपको जानकर हैरानी होगी कि इसे किसी और ने नहीं, बल्कि भारत के फोटो जर्नलिस्ट ने खींचा है। नाम है भवन सिंह। अब आपको यह खबर फिल्मी लग रही होगी लगे भी क्यों ना कोई मामूली बात तो है नहीं इतने बड़े कुख्यात तस्कर अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की तस्वीर लेना। भवन सिंह ने कैसे पूरे माहौल को मैनेज किया होगा क्या उनकी मनःस्थिति रही होगी? इन सब का जवाब आपको भी चाहिए? तो आइए आपको बताते हैं?
बता दें यह फोटो उन्होंने सन 1985 में शारजाह में भारत-पाकिस्तान में एक मैच के दौरान स्टेडियम में खींची थी। अपने जीवन के 80 बसंत देख चुके भवन सिंह अब मुश्किल से बोल पाते हैं। आईए जानते हैं क्या हुआ था उस दिन शारजाह के क्रिकेट स्टेडियम में। बता दें बात मुंबई ब्लास्ट 1993 से कुछ साल पहले की है। भवन सिंह उस समय या टुडे में बतौर फोटो जर्नलिस्ट काम किया करते थे। स्टेडियम का वह मैच डे-नाइट था भवन सिंह वीआईपी के केबिन में अपना दो कैमरा लिए घूम रहे थे। उसी वक्त उनके कानों में एक नाम गूंजा जिसे सुन उनके कान खड़े हो गए किसी ने दाऊद इब्राहिम का नाम लिया। कुछ समय के लिए उन्हें कुछ समझ नहीं आया कि वे क्या करें लेकिन उनका कहना है कि उनके लिए ड्यूटी पहले आती है।
अब ये थी चुनौती… जिस समय की बात है उस वक्त तक दाऊद की कोई तस्वीर मीडिया में नहीं आई थी। जैसा की भवन सिंह ने बताया उनके पास दो कैमरे थे। उन्होंने एक को ट्रायपॉड पर लगाकर छोड़ दिया। दूसरे को गले में लटकाकर आपे बढ़े। वे बताते हैं कि उन्होंने दाऊद को कभी उससे पहले नहीं देखा नहीं था। लेकिन उन्होंने उसके आसपास के माहौल से समझ लिया था कि वो कोई बड़ा शख्स तो है ही। इसके बाद भवन सिंह ने जैसे ही अपने कैमरे का फ्रेम सेट करना शुरू किया, उसके आसपास खड़े गुर्गे जिसमें छोटा राजन भी शामिल था, ने चिल्लाकर कहा कि क्यों खींच रहे हो फोटो। बंद करो इसे हटो। सहमे भवन सिंह कुछ सेकेंड के लिए रुक गए और कुछ सेकंड के लिए दाऊद की तरफ टकटकी लगाकर देखते रहे तभी दाऊद ने अपने गुर्गों की तरफ इशारा किया और कहा कि खींचने दो। इसके बाद समय न गंवाते हुए उन्होंने पांच फोटो उतार ली और चुपचाप वहां से निकल गए।
भारत वह मैच हार चुका था। अपने करियर की शुरुआत नेशनल हेराल्ड नामक अखबार से करने वाले भवन सिंह जब वापस इंडिया आए। और जैसे ही अरुण पुरी ने वह फोटो देखी तो वह चौंक पड़े। उन्होंने बस इतना ही कहा कि ये तुम्हारे पास कैसे? इंडिया टुडे के बाकी साथी भी चौंके। खैर वह फोटो छपी। अब छपी थी तो चर्चा तो होनी ही थी। भवन सिंह बताते हैं कि “इस बीच सुकून वाली बात ये रही कि जिसकी तस्वीर मैंने खींची थी, वह दाऊद ही था। अगर मैं गलत इंसान की तस्वीर खींच लेता, तो मेरे कैरियर पर सबसे बड़ा धब्बा होता।”