इस बार का पितृ पक्ष है खास
इस साल पितृपक्ष की शुरुआत राहु के नक्षत्र शतभिषा में हो रही है। चूंकि राहु के नक्षत्र में इस पक्ष का आरम्भ हो रहा है इसलिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये बहुत महत्वपूर्ण है। पूर्णिमा तिथि 1 सितंबर की सुबह 09:38 बजे से शुरू होगी जो 2 सितंबर 2020 को सुबह 10:53 बजे तक रहेगी।
इस साल पितृपक्ष की शुरुआत राहु के नक्षत्र शतभिषा में हो रही है। चूंकि राहु के नक्षत्र में इस पक्ष का आरम्भ हो रहा है इसलिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये बहुत महत्वपूर्ण है। पूर्णिमा तिथि 1 सितंबर की सुबह 09:38 बजे से शुरू होगी जो 2 सितंबर 2020 को सुबह 10:53 बजे तक रहेगी।
पूर्णिमा श्राद्ध के नियम
1.शास्त्रों के अनुसार अगर आपके पूर्वजों की मृत्यु पूर्णिमा के दिन हुई है तो उनका श्राद्ध पूर्णिमा तिथि को करना चाहिए। ये श्राद्ध ऋषियों को समर्पित होता है। इसलिए परिवार के सदस्यों को पूरे पितृ पक्ष तर्पण करना चाहिए। साथ ही पितरों को जल चढ़ाना चाहिए। श्राद्ध, तर्पण, उपासना, प्रार्थना से पितृशांति के लिए काले तिल का प्रयोग अवश्य करें।
1.शास्त्रों के अनुसार अगर आपके पूर्वजों की मृत्यु पूर्णिमा के दिन हुई है तो उनका श्राद्ध पूर्णिमा तिथि को करना चाहिए। ये श्राद्ध ऋषियों को समर्पित होता है। इसलिए परिवार के सदस्यों को पूरे पितृ पक्ष तर्पण करना चाहिए। साथ ही पितरों को जल चढ़ाना चाहिए। श्राद्ध, तर्पण, उपासना, प्रार्थना से पितृशांति के लिए काले तिल का प्रयोग अवश्य करें।
2.पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनकी तस्वीर को सामने रखें और उन्हें चन्दन की माला पहनाएं। इसके बाद सफेद चन्दन का तिलक लगाएं। 3.पितरों को प्रसन्न करने के लिए उन्हें खीर अर्पित करें। इसमें इलायची, केसर, शक्कर और शहद मिलाएं। अब गाय के गोबर के उपले में अग्नि प्रज्वलित कर अपने पितरों के नाम से चावल के तीन पिंड बनाएं और उनका ध्यान करते हुए तीन बार आहूति दें।
4.पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो इसके लिए कौआ, गाय और कुत्तों के लिए खाना निकालें। इसके बाद अपनी सामथ्र्य के अनुसार एक, पांच या अधिक ब्राम्हणों को भोजन कराएं। 5.पितरों के लिए किए जाने वाली सभी क्रियाएं जनेऊ दाएं कंधे पर रखकर और दक्षिणाभिमुख होकर करें। साथ ही इस दौरान ‘ॐ पितृदेवताभ्यो नमः’ मंत्र का जाप करें।