झुग्गी में रहते थे सज्जन, लगाते थे चाय का ठेला बात 70 के दशक से शुरू होती है। सज्जन कुमार आंनत पर्वत की झुग्गी झोपड़ी में रहते थे और चाय की दुकान लगाते थे। एक बार उनकी अचानक संजय गांधी से मुलाकात हुई और कांग्रेस के लिए काम करना शुरू कर दिया। इसके बाद सज्जन कुमार मादीपुर के जेजे कालोनी में रहने लगे और एक मिठाई की दुकान खोली। इसके बाद भी वह कांग्रेस के लिए काम करते रहे। एक समय ऐसा भी आया कि उन्होंने खुद कांग्रेसी नेताओं के पोस्टर भी चिपकाए।
पार्षद से सांसद तक, ऐसा रहा सफर 1977 में सज्जन कुमार पार्षद बन गए। तीन साल बाद 1980 में उन्होंने बाहरी दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद बन गए। 1984 में सिख विरोधी दंगे हुए और इस दौरान सज्जन कुमार सांसद थे। दंगों में नाम आने के बाद उनका टिकट कट गया। वह अभी भर रुके नहीं और 1991 में एक बार फिर सांसद बने, लेकिन दंगों में नाम की वजह उसे उन्हें टिकट नहीं मिला। 2004 में सज्जन कुमार एक बार फिर से बाहरी दिल्ली से सांसद बने। इसके बाद से उनपर सिख दंगों में नाम होने पर बार—बार कोर्ट जाना पड़ा।
कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा अब दिल्ली हाई कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी पाया है। दंगा भड़काने और साजिश रचने के आरोपी सज्जन को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। सज्जन को 31 दिसंबर 2018 को सरेंडर करना है। उन्हें शहर न छोड़ने का निर्देश दिया है।