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महारानी हियो ह्वांग-ओक का स्मारक अयोध्या में सरयू नदी के किनारे है। प्राचीन कोरियाई राज्य कारक के संस्थापक राजा किम सू-रो की भारती पत्नी थीं। दक्षिण कोरिया के लोग अक्सर अयोध्या आते रहते हैं। अयोध्या की इस राजकुमारी को सुरीरत्ना के नाम से भी जाना जाता है। कोरिया के इतिहास के मुताबिक, महारानी हियो ह्वांग-ओक यानी राजकुमारी सुरीरत्ना भारत से दक्षिण कोरिया के ग्योंगसांग प्रांत के किमहये शहर गई थीं और वहीं की होकर रह गई। चीनी भाषा में दर्ज दस्तावेज सामगुक युसा के मुताबिक, ईश्वर ने अयोध्या की राजकुमारी के पिता को स्वप्न में आकर ये निर्देश दिया था कि वो अपनी बेटी को राजा किम सू-रो से विवाह करने के लिए किमहये शहर भेजें। इसके बाद उनके पिता ने उन्हें राजा सू-रो के पास जाने को कहा। लगभग दो महीने की समुद्री यात्रा के बाद राजकुमारी कोरिया के राजा के पास पहुंच गईं। सामगुक युसा में कहा गया है कि उस समय राजकुमारी की उम्र 16 वर्ष थी, जब उनकी शादी राजा किम सू-रो से हुई थी और उसके बाद वो कोरिया की महारानी बन गई।
कहा जाता है कि महारानी हियो ह्वांग-ओक और राजा किम सू-रो के कुल 12 बच्चे थे। वहीं कोरिया कारक गोत्र के लगभग 60 लाख लोग खुद को राजा किम सू-रो और अयोध्या की राजकुमारी के वंश का बताते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति किम डेई जंग और पूर्व प्रधानमंत्री हियो जियोंग और जोंग पिल-किम भी कारक वंश से ही आते थे। इस वंश के लोगों ने उन पत्थरों को आजतक संभाल कर रखा है, जिनके बारे में माना जाता है कि अयोध्या की राजकुमारी अपनी समुद्री यात्रा के दौरान नाव को संतुलित रखने के लिए साथ लाई थीं। किमहये शहर में उनकी एक बड़ी प्रतिमा भी है।