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कुंभ में ‘रबड़ी बाबा’ के नाम की मची है धूम, 50 लीटर दूध की रबड़ी बनाकर करते हैं ऐसे दावे

locationनई दिल्लीPublished: Jan 23, 2019 10:19:23 am

Submitted by:

Priya Singh

पूरे तन में भस्म लगाए रबड़ी बाबा को देखने पर के बात आपको उनकी एक और बात खास लग सकती है। एक सामान्य नागा साधू के वेश में बैठे रबड़ी बाबा रात में भी काला चश्मा लगाए बैठे रहते हैं।

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कुंभ में ‘रबड़ी बाबा’ के नाम की मची है धूम, 50 लीटर दूध की रबड़ी बनाकर करते हैं ऐसे दावे

नई दिल्ली। प्रयागराज में इस साल कुंभ में देश विदेश से कई संत आए हैं। हर संत अपने अलग और अनोखे अंदाज़ के लिए जाना जाता है। ऐसे ही एक बाबा की बात हम करने जा रहे हैं। महंत देवगिरी जी कभी अठारह वर्ष की आयु में चार धाम की यात्रा पर निकले यह बाबा आज प्रयागराज के कुंभ में रबड़ी बांट रहे हैं। 47 वर्षीय नागा साधू बनकर आज प्रयागराज कुंभ में लोगों को रबड़ी खिलाकर उनका मन जीत रहे हैं। इनकी इसी खूबी की वजह से इनको रबड़ी बाबा के नाम से संबोधित किया जाता है। बाबा ने संकल्प लिया है कि वे प्रतिदिन 50 लीटर के दूध से रबड़ी बनाकर कुंभ में आए लोगों को बांट देंगे। बाबा जब भी रबड़ी बनाते हैं वे सबसे पहले भगवान को भोग लगाते हैं। इसके बाद वह रबड़ी प्रसाद के रूप में कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को बांट देते हैं। मां महाकाली को मानने वाले रबड़ी बाबा का कहना है कि रबड़ी खाने से असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं। रबड़ी की इस खूबी के बारे में हम तो कुछ नहीं कह सकते लेकिन उनकी इस खूबी की वजह से उनका देश-विदेश में नाम ज़रूर हो गया है।

kumbh 2019

पूरे तन में भस्म लगाए रबड़ी बाबा को देखने पर के बात आपको उनकी एक और बात खास लग सकती है। एक सामान्य नागा साधू के वेश में बैठे रबड़ी बाबा रात में भी काला चश्मा लगाए बैठे रहते हैं। उत्तर गुजरात के सिद्धपुर पाटन स्थित महाकाली बीड़ शक्तिपीठ से ताल्लुक रखने वाले महंत देवगिरी का अपने काले चश्मे को लेकर कहना है कि इसे लगाने के पीछे कोई खास कारण नहीं है। उनका कहना है कि वे लोगों का आकर्षण खींचने के लिए ऐसा करते हैं। आपको बता दें यह पहली बार नहीं है जब बाबा खबरों में आए हैं। इससे पहले उज्जैन कुंभ के दौरान उन्हें लोग गोल्डन बाबा के नाम से भी जानते थे। उस कुंभ में उन्होंने अपने शरीर को महाकाल के श्रृंगार में प्रयोग होने वाले 5 हजार सिक्कों से सजाया था।

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