ऐसा माना जाता है कि राधा रानी वृंदावन की अधीश्वरी हैं। कहा जाता है कि राधा रानी को जिसने प्रसन्न कर लिया उसे भगवान श्री कृष्ण भी मिल जाते हैं। ऐसे में इस दिन राधा रानी और श्रीकृष्ण दोनों की पूजा की जाती है। वहीं, शास्त्रों में राधा जी को लक्ष्मी का अवतार माना गया है। इसलिए इस दिन लक्ष्मी जी की भी पूजा की जाती है।
राधा अष्टमी के दिन कैसे पूजा करें
– इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करें।
– नहाने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
– पूझा घर के मंडप में एक कलश स्थापित करें।
– कलश पर तांबे का बर्तन रखें।
– राधा जी की मूर्ति का पंच अमृत से स्नान कराएं।
– पंच अमृत में दही, दूध, तुलसी, शहद और घी को शामिल करें।
– सन्ना कराने के बाद राधा रानी को सुंदर कपड़े और आभूषण से श्रृंगार करें।
– उसके बाद राधा रानी की मूर्ति को कलश पर रखे बर्तन में रख दें।
– धूप और आरती के साथ आरती करें।
– उसके बाद पीली मिठाई या फल चढ़ाएं।
– पूजा करने के बाद पूरा दिन उपवास रखें।
बता दें कि राधा अष्टमी का व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है। इस व्रत को महिलाएं रखती हैं। इस दिन राधा रानी महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं। साथ इस व्रत को रखने से घर में सुख और शांति बनी रहती है।