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कोरोना काल में गीता और रामायण ने बचाया लोगों को, जानिए पूरी खबर

Published: Nov 13, 2020 08:12:01 am

कोरोना काल के प्रकोप से बचाने के लिए लोगों ने गीता, रामायण व पुराणों का अध्ययन किया। जिससे लोगों में एक जागृति पैदा हुई और गरीबों व अपने भाई-बंधुओं का इस बुरे समय में साथ दिया।

Ramayana, Mahabharata have again changed the definition of serial

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कोरोना काल में भगवद्गीता ने लोगों को बड़ा सहारा दिया है। पूरे देश में धार्मिक ग्रंथों की बिक्री में तेजी से वृद्धि हुई है। घरों में कैद लोगों ने वेद-पुराण व अन् धार्मिक पुस्तकें पढ़कर खुद को मानसिक रूप से मजबूत बनाया है। वर्तमान में 19 ऐसी धार्मिक पुस्तके हैं जिनके पाठकों की संख्या में खासा इजाफा हुआ। स्कंद पुराण, सत्यार्थ प्रकाश, सुखसागर, ब्रह्मदेव पुराण, श्रीनृहसिंह पुराण, श्रीनारद पुराण, संक्षिप्त महाभारत, स्रोत रत्नावली, श्रीमद्भागवत गीता, मत्स्य पुराण, कूर्म पूराण, श्रीवाल्मिकी पुराण, श्रीवामन पुराण, श्रीरामचरितमानस, श्रीभागवत रहस्य औऱ सर्व मनोकामना जैसी पुस्तकें प्रमुख हैं। एमजी रोड स्थित गोरखपुर प्रिंटिंग प्रेस की दुकान में वेद पुराणों की मांग तेजी से बढ़ी है। इसके विपरीत कोलकाता, हावड़ा, हुगली, रिसड़ा समेत प्रदेश के अन्य स्थानों पर किताब दुकानों में प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित सामान्य ज्ञान की किताबों की मांग घट गई है।
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बढ़ गई रामचरित मानस की कीमत
लॉकडाउन के पूर्व गोरखपुर प्रिंटिंग प्रेस से 260 रुपए में मिलने वाली रामचरित मानस की कीमत अब 300 रुपए हो गई है। देश भर में धार्मिक किताबों की बिक्री करीब दोगुनी हो गई है। मांग बढ़ती जा रही है जबकि सप्लाई उस अनुपात में न रहने से ग्राहकों की मांग पूरी नहीं हो पा रही है।
लोगों ने किया पुराणों का अध्ययन
कोलकाता महानगर के ज्योतिषाचार्य पंडित जितेन्द्र आचार्य का कहना है कि कोरोना काल के प्रकोप से बचाने के लिए लोगों ने गीता, रामायण व पुराणों का अध्ययन किया। जिससे लोगों में एक जागृति पैदा हुई और गरीबों व अपने भाई-बंधुओं का इस बुरे समय में साथ दिया। इन ग्रंथों में ऐसी बात हैं जो लोग आज भी इन ग्रन्थों को पढ कर अच्छे रास्तों पर चल रहे हैं।
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