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कहां से आता है व्रत में इस्तेमाल किया जाने वाला नमक, देश का नाम जान हो सकता है आश्चर्य

locationनई दिल्लीPublished: Feb 07, 2019 12:02:11 pm

Submitted by:

Priya Singh

इस बात से आप सभी वाकिफ होंगे कि कुछ खास व्रत में नमक का प्रयोग भी किया जाता है लेकिन कभी आपके में यह सवाल उठा कि वह नमक आता कहां से हैं।

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कहां से आता है व्रत में इस्तेमाल किया जाने वाला नमक, देश का नाम जान हो सकता है आश्चर्य

नई दिल्ली। हिंदुओं में व्रत की बहुत मान्यता है। व्रत करके हम यह दर्शाते हैं कि भगवान के नाम पर हम संकल्प ले रहे हैं। किसी काम के पूरा हो जाने पर भी हम व्रत रखते हैं। हिंदू सभ्यता में व्रत को खास तरीके किया जाता है इसमें कोई जूठी चीज का सेवन नहीं किया जाता। यहां तक की व्रत में इस्तेमाल किया जाने वाला नमक भी खास तरीके का होता है। इस बात से आप सभी वाकिफ होंगे कि कुछ खास व्रत में नमक का प्रयोग भी किया जाता है लेकिन कभी आपके में यह सवाल उठा कि वह नमक आता कहां से हैं। आज हम आपको बताएंगे कि व्रत वाला नमक कहां से आता है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि नमक पांच प्रकार के होते हैं, काला नमक, सादा नमक, सेंधा नमक, और समुद्री नमक। हिंदू में सेंधा नमक को पवित्र नमक माना जाता है। इसे अंग्रेजी में रॉक सॉल्ट कहा जाता है। इस नमक की खासियत है कि इसे रिफाइन नहीं किया जाता है। सेंध नामक में पोटैशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम पाया जाता है। यही कारण है कि यह नामक व्रत के दिनों में शरीर के लिए बेहतर होता है।

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सिंध इलाके से लाए गए इस नमक को ‘सेंधा’ इसीलिए कहा जाता है क्योंकि इसे सिंध के इलाके से लाया गया था। सेंधा नमक लाहौर में बहुत मात्रा में पाया जाता है। मौजूदा समय में पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर पंजाब में नमक कोह नाम की मशहूर पहाड़ी है। यहां मौजूद खेवड़ा नमक खदान दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी नमक की खान के रूप से जानी जाती है। यहां से हर साल लगभग 4.65 लाख टन नमक निकाला जाता है। इस खान में नमक की मात्रा इतनी है कि अगर पूरी दुनिया में नमक खत्म भी हो जाए तो आने वाले 500 सालों में यहां से नमक की सप्लाई की जा सकती है।

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ऐसे हुई खोज

इतिहासकारों की मानें तो इस खान की होज सिकंदर के समय में हुई थी। जब सिकंदर ने खेवड़ा इलाके में धावा बोला तो वहां उसके घोड़ों नें दीवारों को चाटना शुरू किया। जिसके बाद पता चला कि यहां नमक की खान है। बता दें कि खेवड़ा खान में आज के समय 40 किलोमीटर का लंबा टनल है। इस खान को खोदते-खोदते आज यह कमरा नुमा हो गई है। बता दें कि इसे कमरे के आकार में इसलिए खोदा जाता है ताकि खान के ढांचे को सहारा मिलता रहे और वह गिरे नहीं।

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