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वैज्ञानिकों ने की बड़ी खोज, 21 जून को सूर्यग्रहण के दौरान आसमान में Corona को देखने का मिलेगा मौका!

locationनई दिल्लीPublished: Jun 06, 2020 02:21:32 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

Highlights- सोलर कोरोना (Solar Corona) यानी सूर्य (Sun) का बाहरी वातावरण जो अंतरिक्ष में फैला होता है- सूर्य की सतह से निकलने वाले आवेशित कणों की इस धारा को सौर पवन कहा जाता है और ये पूरे सौर मंडल में फैल जाते हैं- 3 जून को एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में IFA के छात्र बेंजामिन का एक अध्ययन प्रकाशित हुआ

वैज्ञानिकों ने की बड़ी खोज, 21 जून को सूर्यग्रहण के दौरान आसमान में Corona को देखने का मिलेगा मौका!

वैज्ञानिकों ने की बड़ी खोज, 21 जून को सूर्यग्रहण के दौरान आसमान में Corona को देखने का मिलेगा मौका!

नई दिल्ली. कोरोना वायरस (CoronaVirus) के प्रसार के कारण वर्तमान समय ही बेहद कष्टकारक है। इस बीच हवाई यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोनॉमी (University Institute for Astronomy) (आईएफए) के शोधकर्ताओं ने सौर कोरोना (Solar Corona) का अध्ययन किया और सोलर कोरोना के चुंबकीय क्षेत्र का पता लगाया। सोलर कोरोना (Solar Corona) यानी सूर्य (Sun) का बाहरी वातावरण जो अंतरिक्ष में फैला होता है। सूर्य की सतह से निकलने वाले आवेशित कणों की इस धारा को सौर पवन कहा जाता है और ये पूरे सौर मंडल में फैल जाते हैं। 3 जून को एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में IFA के छात्र बेंजामिन का एक अध्ययन प्रकाशित हुआ। जिसमें कोरोना के चुंबकीय क्षेत्र के आकार को मापने के लिए पूर्ण सूर्य ग्रहण के पर्यवेक्षणों का उपयोग किया।
नजर आएगा कोरोना

कोरोना को पूर्ण सूर्य ग्रहण (total solar eclipse) के दौरान आसानी से देखा जाता है, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के ठीक बीच में होता है और सूर्य की चमकदार सतह को रोकता है। इस सूर्यग्रहण से जुड़ी एक दिलचस्प बात ये है कि जब पूरा सूर्य चांद के पीछे छिप जाएगा और केवल इसकी बाहरी परत यानी कोरोना नजर आएगी। असल में कोरोना एक रिंगनुमा गोल आकृति है, इसके चारों ओर से बाहर को निकलती ज्वाला जैसी नजर आती है। इसका कोरोना वायरस के कुछ लेना देना नहीं है।
14 ग्रहणों के दौरान ली गई तस्वीर का हुआ अध्ययन

पूर्ण सूर्य ग्रहणों को देखने के लिए ये शोधकर्ता संवेदनशील वैज्ञानिक उपकरणों को साथ दुनिया भर में घूमे और इन सूर्यग्रहणों का बारीकी से अध्ययन करने पर कोरोना को परिभाषित करने वाली भौतिक प्रक्रियाओं के रहस्य से पर्दा उठा। पिछले दो दशकों में हुए 14 ग्रहणों के दौरान कोरोना की ली गई तस्वीरों का अध्ययन किया गया।
बदलता रहता है पैटर्न

अध्ययन में पाया गया कि कोरोनल चुंबकीय क्षेत्र लाइनों का पैटर्न बेहद संरचित है। समय के साथ ये पैटर्न बदलता रहता है। इन परिवर्तनों की मात्रा निर्धारित करने के लिए, बोए ने सूर्य की सतह के सापेक्ष चुंबकीय क्षेत्र कोण को मापा। न्यूनतम सौर गतिविधि की अवधि के दौरान, कोरोना के क्षेत्र को भूमध्य रेखा और ध्रुवों के पास सूर्य से लगभग सीधे निकला, जबकि यह मध्य-अक्षांशों पर कई कोणों में निकला।
पृथ्वी के कोरोना से है बिल्कुल अलग

जब सौर गतिविधियां ज्यादा थीं तो कोरोनल चुंबकीय क्षेत्र बहुत कम संगठित और ज्यादा रेडियल था। ये सूर्य का कोरोना फिलहाल पृथ्वी पर फैले कोरोना वायरस से बिलकुल अलग है। पृथ्वी पर फैले कोरोना वायरस से संक्रमित मामलों की संख्या बढ़कर 2.28 लाख हो गई, जबकि मरने वालों का आंकड़ा 6500 से अधिक हो गया है.
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