हवा में कई मिनटों तक जिंदा रह सकते हैं वायरस उन्होंने ड्रॉपलेट्स की गति पर अध्ययन किया है। न्यूयॉर्क पोस्ट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक प्रोफेसर ने शोध में यह पाया कि ड्रॉपलेट्स में मौजूद सभी तरह के आकारों वाले कण 23 से 27 फीट की दूरी तय कर सकते हैं। यही नहीं, हवा में वायरस लंबे समय तक जिंदा रहता है। इस शोध को अमेरिकल मेडिकल एसोसिएशन के प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
सोशल डिस्टेंसिंग के तरीकों में बदलाव शोध के जरिए प्रोफेसर बॉरुइबा ने चेतावनी दी है कि ड्रॉपलेट्स जमीनी सतहों को भी दूषित कर सकती हैं। इसकी छोटी सी बूंद भी लंबे समय तक हवा में मौजूद रहती है। उन्होंने कहा कि अगर सोशल डिस्टेंसिंग के तरीकों में बदलाव नहीं हुआ तो यह संक्रमण रूकने वाला नहीं है।
गाइडलाइन में बदलाव करने की जरूरत बॉरुइबा ने एक अंग्रेजी चैनल को इंटरव्यू देते हुए बताया कि वर्तमान में विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी की जा रही गाइडलाइन में संशोधन की जरूरत है। इसे तुरंत लागू करना चाहिए। सोशल डिस्टेंसिंग और इलाज में लगे डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए जो सुरक्षा उपकरणों और जरूरतों को बताया गया है उसमें भी बदलाव करने की जरूरत है।
हो सकता है आगे बदलाव विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बॉरुइबा के शोध का स्वागत किया। डब्ल्यूएचओ ने सोशल डिस्टेंसिंग के लिए 3 फीट की दूरी को सुरक्षा के लिहाज से पर्याप्त बताया।संस्था की ओर से कहा गया कि वह कोरोना से जुड़े सभी शोध और अध्ययनों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। अगर इससे जुड़ा कोई अन्य सबूत मिलता है तो वह आगे इसमें बदलाव करने पर विचार कर सकते हैं।