scriptNavratri 2020: पाकिस्तान में है वैष्णो देवी का अद्भुत मंदिर, मुसलमान भी करते हैं मां के दर्शन | second Vaishno Devi in Pakistan, but it is known as Mata Hinglaj | Patrika News

Navratri 2020: पाकिस्तान में है वैष्णो देवी का अद्भुत मंदिर, मुसलमान भी करते हैं मां के दर्शन

Published: Oct 20, 2020 03:57:49 pm

Submitted by:

Vivhav Shukla

Navratri 2020: पाकिस्तान में मौजूद वैष्णो देवी का मंदिर (second Vaishno Devi in Pakistan) भी एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है। जो बलूचिस्तान में है। इस मंदिर को भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।

second Vaishno Devi in Pakistan

second Vaishno Devi in Pakistan

नई दिल्ली। आज शारदीय नवरात्रि (Navratri 2020) का चौथा दिन है। पूरे नवरात्रि में माता शेरावाली के मंदिरों में भक्त मां के दर्शन के लिए पलकें बिछाएं रहते हैं। इन पावन दिनों में लोग जम्मू में मौजूद माता के शक्तिपीठ वैष्णो मंदिर जाते हैं। लेकिन एक ऐसा भी वैष्णों मंदिर है जहां जाने के लिए पाकिस्तान सरकार से इजाजत लेनी पड़ती है।

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पाकिस्तान में मौजूद है मंदिर

हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हिंगोल नदी के किनारे बसे हिंगलाज माता मंदिर की। इस मंदिर को पाकिस्तान का वैष्णो देवी मंदिर भी कहा जाता हैं। ये मंदिर भी एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है। इस मंदिर का धार्मिक और पौराणिक दृष्टि से बड़ा महत्व है।

51 शक्तिपीठों में से एक है माता हिंगलाज मंदिर

हिंगलाज माता का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। पुराणो के अनुसार, यहां पर देवी सती का ब्रह्मरंध्र (मस्तिष्क) गिरा था। इस मंदिर को हिंगुला देवी और नानी का मंदिर या नानी का हज के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में ठीक वैसी ही गुफा है जैसी भारत की वैष्णो देवी मंदिर में है।

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इस शक्तिपीठ की सबसे खास बात ये है कि इसकी देखरेख हिंदुओं के साथ-साथ मुसलमान भी करते हैं। पाकिस्तान के लोग इस मंदिर को और इस स्थान को चमत्कारिक मानते हैं।

राम-परशुराम भी आ चुके हैं माता हिंगलाज मंदिर

नवरात्रि के नौ दिनों में माता हिंगलाज मंदिर में पाकिस्तान के साथ-साथ भारत से भी हजारों भक्त पहुंचते हैं। बताया जाता है कि जब परशुरामजी ने 21 बार क्षत्रियों का अंत किया था तब कुछ क्षत्रिय ने अपनी जान बचाने के लिए मां हिंगलाज के शरण में आ गए थे। इसके बाद माता ने ही क्षत्रियों को ब्रह्मक्षत्रिय बना दिया। इसके अलावा इस मंदिर को लेकर एक और बात प्रचलित है। कहा जाता है कि जब श्री राम ने रावण का वध किया था तो ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति के लिए वे भी माता हिंगलाज के शरण में आए थे।

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