सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर मेघदूत तकनीक से बने इस पानी की कीमत बोतल के साथ 8 रुपए है। ग्राहक अपनी बोतल में इसे पांच रुपए में चुकाकर खरीद सकते है। जल शक्ति मंत्रालय की ओर से इस तकनीक को सेहत के अनुकूल और सुरक्षित घोषित करने के बाद साउथ सेंट्रल रेलवे ने यहां गुरुवार को कियोस्क इंस्टॉल किया है।
इसका ऑटोमैटिक वॉटर जेनरेटर रोजाना 1000 लीटर पानी बनाता है जिसे स्टील के एक टैंक में जमा किया जाता है। इस टैंक की खासियत ये है कि यह टैंक पानी को बिलकुल खराब नहीं होने देता बल्कि इसमें पानी लंबे वक़्त सुरक्षित रहता है।
हवा से पानी निकालने की इस मेघदूत तकनीक को मैत्री एक्वाटेक ने ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम के तहत विकसित किया है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक यह मशीन पर्यावरण के मुफीद है जो कि हर मौसम में काम कर सकती है। इसके अलावा यह किसी भी तरह के पानी के स्रोत पर भी निर्भर नहीं है।
इस तरह काम करती ये यह मशीन
हवा एक प्रणाली के माध्यम से मशीन में पहुंचती है और ये मशीन नमी से भरी हवा में मौजूद दूषित पदार्थों को छानने का काम करती है। इसके बाद मशीन से छनकर निकलने वाली हवा एक कूलिंग चैंबर से होकर गुजरती है जिसमें हवा ठंडी हो होती है।
इस प्रोसेस बनने वाली यही ठंडी हवा पानी में बदल जाती है और बूंद-बूंद होकर टैंक में जमा होती है। फिर इस पानी को कई स्तर पर फिल्टर किया जाता है। इसमें पानी को अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से गुजारा जाता है, जिससे शुद्ध पानी बन जाता है।