हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, “आज की पीढ़ी दूसरों की तारीफ पाने की निरंतर तलाश करती है। युवा दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि उन्होंने एक ऐसी उपलब्धि हासिल की है, जिसे और कोई नहीं कर सकता। सेल्फी लेने में जितनी हिम्मत दिखाई जाए, उतनी ही प्रशंसा मिलती है। इस तरह की सेल्फी से उन्हें अपने साथियों से तुरंत स्वीकृति मिलने में मदद मिलती है।” लेकिन ऐसा करना बहुत खतरनाक है। पिछले दो वर्षो में दुनिया भर में सेल्फी का बुखार बढ़ा है। सेल्फी को दुनिया भर में बड़ी संख्या में मृत्यु दर और महत्वपूर्ण बीमारी से जोड़ा गया है।
दरअसल, इस डिजिटल युग में हम में से बहुत से लोग ऐसे उपकरणों के गुलाम बन गए हैं जो वास्तव में हमें फ्री टाइम देने और जीवन को बेहतर तरीके से अनुभव करने तथा लोगों के साथ अधिक समय बिताने के लिए बनाये गये थे। लेकिन हम उसमें इस कदर खो गए हैं कि उनका उपयोग किसी और काम के लिए करने लगे हैं। मोबाइल से सेल्फी लेना भी उनमें से एक है। इससे एक ओर जहां हम अपने आप तक सीमित हो जाते हैं तो वहीं सेल्फी लेने के दौरान कई तरह की घटनाओं को भी आमंत्रित करते हैं।