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इस शासक को था समलैंगिक संबंध बनाने का शौक, बच्चों पर भी रखता था बुरी नजर

सुप्रीम कोर्ट आज समलैंगिकता मामले में फैसला सुनाने जा रहा है। आईपीसी की धारा-377 के तहत समलैंगिकता को अपराध माना गया है।

Sep 06, 2018 / 11:19 am

Vinay Saxena

इस शासक को था समलैंगिक संबंध बनाने का शौक, बच्चों पर भी रखता था बुरी नजर

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट आज समलैंगिकता मामले में फैसला सुनाने जा रहा है। आईपीसी की धारा-377 के तहत समलैंगिकता को अपराध माना गया है। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि दो बालिगों के बीच अगर सहमति से समलौंगिक संबंध बनाए जाते हैं तो उसे अपराध की श्रेणी से बाहर किया जाए। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली संवैधानिक बेंच ने 10 जुलाई से मामले की सुनवाई शुरू की थी और 17 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें, समलैंगिक संबंध का इतिहास बहुत पुराना है। बताया जाता है कि खिलजी वंश के सबसे शक्तिशाली शासकों में एक अलाउद्दीन खिलजी भी समलैंगिक था।
खिलजी वंश के सबसे ताकतवर सुल्तानों में थे एक था अलाउद्दीन खिलजी

 

इतिहास की किताबों में दर्ज कुछ बातों के आधार पर सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी का नाम खिलजी वंश के सबसे ताकतवर सुल्तानों में से एक माना जाता है। क्रूर शासक होने के साथ—साथ वह अपनी वहशी कामुक इच्छाओं के लिए मशहूर था। महिलाओं के अलावा जहां उसे पुरुषों के लिए भी खास आकर्षण था। यही नहीं बच्चे भी उसकी गंदी नजरों से नहीं बचते थे।
खिलजी को था समलैंगिक संबंध बनाने का शौक

मलिक मोहम्मद जायसी की रचना के मुताबिक, अलाउद्दीन खिलजी को समलैंगिक संबंध बनाने का शौक था। अलाउद्दीन खिलजी को जो भी पसंद आ जाता, अपने भोग-विलास की वस्तु के रूप में गुलाम बनाकर वह उसे अपने हरम में रखता था। इसी वजह से उसके हरम में महिलाओं व पुरुषों के अलावा बच्चे भी थे।
हरम में थे 70 हजार आदमी


आपको बता दें कि सुल्तान अलाउद्दीन बिना दाढ़ी-मूंछ वाले नौजवानों का दीवाना था। इतिहास की कई किताबों में इस बात का वर्णन किया गया है कि अलाउद्दीन के हरम में करीब 70 हजार आदमी थे जिसमें पुरुष, बच्चे और स्त्रियां शामिल थे। वह जब चाहे इनका भोग करता रहता था।

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