अनुच्छेद 370 जब जम्मू कश्मीर में लागू होने वाला था तो डॉ. मुखर्जी ने उसका बहुत विरोध किया था। इस अनुच्छेद के तहत भारत सरकार से बिना परमिट लिए कोई भी जम्मू-कश्मीर में प्रवेश नहीं कर सकता था। डॉ. मुखर्जी इस प्रावधान के हमेशा खिलाफ रहे। वे जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर हमेशा अडिग रहे। उनका मानना था कि जम्मू एवं कश्मीर भारत का एक अविभाज्य हिस्सा है।
जम्मू-कश्मीर: क्या है आर्टिकल 370, कैसे एक देश को दो हिस्सों में बांटती है ये धारा
डॉ. श्यामा प्रकाश मुखर्जी तत्कालीन सरकार के इस फैसले के खिलाफ थे कि जम्मू-कश्मीर में परमिट जाने के लिए परमिट होना ज़रूरी है। 11 मई, 1953 में सरकार का विरोध करते हुए वे जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करने लगे इसपर शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार ने उन्हें हिरासत में ले लिया। उन्हें हिरासत में लेकर नज़रबंद कर दिया और गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद 23 जून, 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु का खुलासा आज तक नहीं हो पाया। बता दें कि श्यामा प्रकाश मुखर्जी के बलिदान की वजह से धारा 370 के बावजूद कश्मीर आज भारत का अभिन्न अंग बना हुआ है। जम्मू-कश्मीर को लेकर पहले जो नियम बने हुए थे अगर वो लागू हो गए होते तो आज जम्मू-कश्मीर की परिस्थिति एकदम अलग होती।