इस मुहिम की शुरूआत के पीछे मकसद एक ऐसे व्यक्ति (सद्दाम हुसैन) की शुरूआत है जिसकी दोनों किड़नियां खराब हो चुकी हैं और आर्थिक रूप से पैसों की कमी होने के चलते परिजन उसका इलाज कराने में भी सक्षम नहीं हैं। ऐसे में नागौर शहर के युवाओं ने सोशल मीडिया को हथियार बनाते हुए एक ग्रुप बनाया, जिसका नाम ‘इंसानियत के नाते मदद’ रखा गया। खास बात यह रही कि देखते ही देखते इस ग्रुप को अच्छा रिस्पॉन्स मिलना शुरू हो गया और लोगों ने मदद के लिए आगे आना शुरू कर दिया।
वैसे तो सरकारी आंकड़ों में सद्दाम हुसैन बीपीएल कार्ड धारी है और उसके पास भामाशाह कार्ई भी है, लेकिन जब इलाज की बारी आई तो बात नहीं बनी। मजबूरी में प्राइवेट अस्पताल में डॉक्टर से इलाज कराने के सिवा उसके पास और कोई रास्ता नहीं बचा। इसके लिए सद्दाम को पांच लाख रुपए की दरकार है।
ऐसे में किसी ने एक अखबार में यह खबर प्रकाशित करवा दी कि सद्दाम को आर्थिक मदद की जरूरत है और यहीं से पहल हुई सोशल मीडिया के माध्यम से पैसा जुटाने की पहल। इस पहल से फिलहाल इस ग्रुप ने दो लाख रुपये जुटा लिया है और बाकी पैसौं के लिए भी काम चल रहा है। जल्द ही इन पैसों को सद्दाम के परिजनों को सौंप दिया जाएगा। खास बात यह है कि युवाओं की पहल में नागौर पुलिस ने भी कदम से कदम मिलाया है और सद्दाम को 51 हजार रुपए की सहायता राशि दी है।