टूटकर जमीन पर आ गिरा 400 साल पुरानी चारमीनार का हिस्सा, रख-रखाव को लेकर उठ रहे सवाल दरअसल हाल ही में ब्लेड का नया विज्ञापन आया है जो महिलाओं संबंधी भेदभाव को चुनौती दे रहा है। कंपनी की तरफ से 26 अप्रैल को
यूट्यूब चैनल (
Youtube Channel ) पर एक ये नया विज्ञापन पोस्ट किया है। इस विज्ञापन में दो लड़कियों के बारे में बताया गया है जो उत्तर प्रदेश (
Uttar Pradesh ) के एक छोटे से गांव बनवारी टोला में नाई की दुकान पर काम करती हैं।
यह विज्ञापन
सोशल मीडिया (
social media ) पर तेजी से
वायरल हो रहा है जिसकी शुरुआत एक छोटे बच्चे से होती है जो हमारा ध्यान इस तरफ खींचता है कि कुछ काम महिलाओं के लिए नहीं बने हैं। इस विज्ञापन के वीडियो में काफी लंबे समय से महिलाओं और पुरुषों के लिए बने अलग-अलग कामों को दर्शाया गया है।
गुमनामी बाबा और सुभाष चंद्र बोस एक ही थे! इस जगह बनाया था अपना ठिकाना बाद में एक नाई की दुकान दिखाई जाती है, जिसे दो बहने चला रहे हैं। इस विज्ञापन के जरिये उस सोच को चुनौती दी जा रही है जिसके मुताबिक़ महिलाएं कुछ काम करने के लिए बनी नहीं हैं लेकिन ये विज्ञापन ऐसी ही सोच पर प्रहार करता है। इस दुकान में लड़की को नाई का काम करते देख बच्चा अपने पिता से पूछता है, बापू ये लड़की होकर उस्तरा चलाएगी? इस पर पिता कुछ सोचते हुए जवाब देता है- अरे बेटा उस्तरे को क्या पता कि चलाने वाला लड़का है या लड़की?