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इस documentary में दिखाया गया है कि अबु अब्दुला नाम का शख्स 4 साल पहले पहले सीरिया छोड़कर तुर्की आ गए थे। वहां वे उन्होंने ग मेटल वर्कर के तौर पर काम शुरु कर दिया। इस काम के लिए उन्हें महीने के 300 डॉलर यानी 22 हजार रुपये कमाते हैं। लेकिन इस रकम से उनके घर का खर्चा नहीं चलता था। जिसके बाद उन्होंने एक ऑर्गन ब्रोकर से डील की और अपनी किडनी बेचने के लिए उन्होंने 10,000 डॉलर मांगे।
लेकिन किडनी देने के बाद उन्हें केवल आधी रकम ही मिली। यहां तक कि इसके बाद वो उन्हें कभी दिखाई नहीं दिया। उसने अपना फोन नंबर भी बदल लिया। अब्दुला अकेले नहीं हैं जिनका ऐसा हाल है। उनके जैस कई सीरियन रिफ्यूजी हैं जो अपना खर्च चलाने के लिए ऑर्गन बेच रहे हैं।
सीबीएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्की में मानव अंगों को बेचना गैरकानूनी है। लेकिन लोग अपने परिवार का पेट पालने के लिए ये सब कर रहे हैं। अब्दुला ने बताया कि जिस शख्स ने उसकी किडनी खरीदी वो शायद यूरोप से था। ऑपरेशन से कुछ देर पहले ही उसने अब्दुला से कहा था कि वो अस्पताल में बताए कि वे दोनों कजिन हैं।
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वहीं सीरियन अमेरिकन बिजनेसमैन Yakzan Shishakly ने बताया कि तुर्की में सीरियन रिफ्यूजी बेहद गरीबी में रहते हैं। यहां तक कि कई बार तो खाना भी नहीं होता, कईयों के सिर पर छत तक नहीं है। इस लिए वे अपना गुजारा करने के लिए अपना शरीर बेच रहे है।